Tuesday 15 March 2016

तू किसमत मे नही मेरी शायद..तू सिरफ यादो मे रहे गा शायद---हाथो की लकीरो मे

ढूढॅते है तेरा नाम अकसर..कयू शहनाईयो की गूॅज मे खो जाते है अकसर--दुलहन के

लिबास को कयू मान लेते है तेरा तोहफा..यह जानते हुए अमानत है तूू किसी और की

शायद--यकीॅ है आज भी कयू इतना....किसमत की लकीरो मे नाम तेरा लिखा ले गे

अपना----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...