Saturday 26 March 2016

गुसताखिया ना करो इतनी,कि बहक जाए ना हम--तेरी बाहो मे आने के लिए कही

मचल ना जाए हम--लरजते होठो से इकरारे मुहबबत कर बैठे ना हम..इशक की

पाबनदियो से कही बिखर ना जाए हम--तेरे हॅसने की अदा,गहरी मुसकुुराट मे दिल चीर

देने की खता..ऐसा ना हो तेरे होने पे मजबूर हो जाए हम--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...