Sunday 13 March 2016

मैै कोई गैर नही..तेरी ही अमानत हू--बरसो से बिछडी इक रूह हू..तेरी तकदीर मे लिखी

तेरी ही मुहबबत हू--जब जब तेरी आॅखे बरसी है किसी की याद मे..तेरे हर आॅसू मे छिपी

तेरी ही फरियाद हू मै--गुजर गए जनम कितने तलाश मे तेरी..अब जब मिले है तब भी

कयू अधूरी है पयास तेरी--आ पास मेरे कि अब मै तेरी ही दुलहने खास हू---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...