मैै कोई गैर नही..तेरी ही अमानत हू--बरसो से बिछडी इक रूह हू..तेरी तकदीर मे लिखी
तेरी ही मुहबबत हू--जब जब तेरी आॅखे बरसी है किसी की याद मे..तेरे हर आॅसू मे छिपी
तेरी ही फरियाद हू मै--गुजर गए जनम कितने तलाश मे तेरी..अब जब मिले है तब भी
कयू अधूरी है पयास तेरी--आ पास मेरे कि अब मै तेरी ही दुलहने खास हू---
तेरी ही मुहबबत हू--जब जब तेरी आॅखे बरसी है किसी की याद मे..तेरे हर आॅसू मे छिपी
तेरी ही फरियाद हू मै--गुजर गए जनम कितने तलाश मे तेरी..अब जब मिले है तब भी
कयू अधूरी है पयास तेरी--आ पास मेरे कि अब मै तेरी ही दुलहने खास हू---