Friday 18 March 2016

तेरी दुनिया हैै दूर..बहुत दूर..मेरी पहुॅच से भी बहुत दूर--आवाजे दे तुझे कितनी..थक

कर हो गए है चूर--तेरी बाते,तेरी यादे.है नूर आज भी मेरे चेहरे का--गुफतगू करे कितनी

भी दुनिया.पर आज भी नही है तनहाॅ हम--तेरी साॅसो की वो महक.ले आए गी मुझे तेरे

ही पास--कि हो चुके है हम भी इस दुनिया से दूर...बहुत ही दूर---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...