Monday 28 March 2016

तेरी ऱजा से खुद के अरमानो को आज जोड लिया हम ने--तुझे शुकरीया कहे या

मेहरबानी तेरी..तेरेे वजूद से खुद को बाॅध लिया हम ने--तेरे इशक के कदऱ दान है बरसो

 से..यह बात और है कि अपने हुसन के चरचे नही सुुने तुम से--इतनी खामोशी है कयू

तेरे पयार मे..फिर भी बेबाकी से..तुम से रिशता जोड लिया हम ने--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...