तेरी ऱजा से खुद के अरमानो को आज जोड लिया हम ने--तुझे शुकरीया कहे या
मेहरबानी तेरी..तेरेे वजूद से खुद को बाॅध लिया हम ने--तेरे इशक के कदऱ दान है बरसो
से..यह बात और है कि अपने हुसन के चरचे नही सुुने तुम से--इतनी खामोशी है कयू
तेरे पयार मे..फिर भी बेबाकी से..तुम से रिशता जोड लिया हम ने--
मेहरबानी तेरी..तेरेे वजूद से खुद को बाॅध लिया हम ने--तेरे इशक के कदऱ दान है बरसो
से..यह बात और है कि अपने हुसन के चरचे नही सुुने तुम से--इतनी खामोशी है कयू
तेरे पयार मे..फिर भी बेबाकी से..तुम से रिशता जोड लिया हम ने--