Friday 4 March 2016

समनदर की लहरो ने छुआ..जो मेरे पैरो को..कयू पानी शराबे जाम बन गया---झुकाया

जो पलको को हम ने..कयू शाम का अॅधेरा हो गया--खुली आॅखे तो जमाना रौशन हो

गया--धरती पे कदम जो हम ने लिए..हजूम दीवानो का हमारे सजदे मे ही झुक गया--

अब हो चुके है खामोश..तो जमाने.....अब तूू भी कयू खामोश हो गया----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...