कही उन की नींद ना टूटे,इस ख्याल से हम ने पायल को बजने से रोक लिया---खलल ना हो कही उन के
सपनो मे,यह सोच कर हम ने गेसुओं को उन के चेहरे पे झुकने से रोक दिया---चूड़िया बजने लगी जो
रात के अँधेरे मे,उन की खनक को प्यार से बस चूम लिया---निहारते रहे उन को सोते हुए,मासूम सी
सूरत पे खुद को उन से प्यार करने के लिए....खुद को रोका जो रोका...पर पलकों को भिगोने से बस रोक
लिया....
सपनो मे,यह सोच कर हम ने गेसुओं को उन के चेहरे पे झुकने से रोक दिया---चूड़िया बजने लगी जो
रात के अँधेरे मे,उन की खनक को प्यार से बस चूम लिया---निहारते रहे उन को सोते हुए,मासूम सी
सूरत पे खुद को उन से प्यार करने के लिए....खुद को रोका जो रोका...पर पलकों को भिगोने से बस रोक
लिया....