Thursday 30 March 2017

कही उन की नींद ना टूटे,इस ख्याल से हम ने पायल को बजने से रोक लिया---खलल ना हो कही उन के

सपनो मे,यह सोच कर हम ने गेसुओं को उन के चेहरे पे झुकने से रोक दिया---चूड़िया बजने लगी जो

रात के अँधेरे मे,उन की खनक को प्यार से बस चूम लिया---निहारते रहे उन को सोते हुए,मासूम सी

सूरत पे खुद को उन से प्यार करने के लिए....खुद को रोका जो रोका...पर पलकों को भिगोने से बस रोक

लिया....

Wednesday 29 March 2017

कहने के लिए तो यह सारा जहाँ अपना है...पर अपनेपन के नाम पे अपना कोई भी तो नहीं----सितारों

से भरा यह आसमाँ भी तो अपना है,पर एक सितारा कही अपना  ही नहीं---मुझे तुम से प्यार है,यह

झूठा भुलावा मिलता है हर जगह से मगर, पर साथ चलने के लिए कोई एक शख्स भी तो नहीं---यह

दुनिया है ख़ुदग़र्ज़ो की,जहा मतलब के लिए लोग रिश्तो को ही बदल जाते  है---और दे के दुहाई बदनामी

की अपने दामन को साफ़ कर जाते है----

Saturday 25 March 2017

बारिश तू  ज़रा थम जा,ए बादल तू बरस के अब खाली हो जा---उन की राहो को आबाद करने के लिए

सूरज को ज़रा उगने दो ---सुबह की मासूम हवाओ को ज़रा महकने दो,खिलने  दो अब उन कलियों को

जो फिज़ाओ को महकाती है--मेरे मेहबूब की राहो मे ज़रा सज़दा कर लू,ना रोको मुझे ना  टोको मुझे

बस हो जाओ सभी खामोश ज़रा,कि उन की सलामती के लिए खुद को इबादत मे ज़रा शामिल कर लू---

Tuesday 21 March 2017

बहुत  बहुत ही खामोश सी यह रात है--कोई हल्की सी खलिश इस दिल के आस पास है---सन्नाटे को

चीरती हुई एक खामोश सी तेरी  आवाज़ मेरे साथ है---आंखे बंद है मेरी,पर नींद तेरी यादो के आस पास

है---दुनिया से दूर,बहुत ही दूर तेरे प्यार का जनून मेरी ज़िन्दगी की आस है---तुझ तक पंहुचने के लिए

इबादत के धागों मे खुद को लुटा देना मेरी मंज़िले-खास है---मेरी मुस्कुराहट को मेरी ख़ुशी समझने के

लिए,यह ज़माना आज भी मेरे सलाम का हक़दार है---
तुझे रुखसत कर दिया हम ने भरी आँखों से आज---पर तमाम यादो को साथ लिए घर लौटे थे आज---

सूना सूना सा जहाँ मेरा,अधूरे से खवाब..कोई नहीं समझ पाया मेरे दिल दिमाग की उथल-पुथल का

गहरा  राज़--तुम रहे शहंसाह मेरे,माथे का सरताज....बदली दुनिया,बदले लोग...बुझ गया उम्मीदों का

संसार---पर मैंने चुपके से अपनी रूह को जोड़ दिया तेरी रूह के साथ,सांसो को निभाने के लिए यही रास्ता

बचा है आज---

Monday 20 March 2017

तेरी यादो के बवंडर से जो सैलाब निकला है,वो काफी है ताउम्र जीने के लिए---बरस बरस कर जो बरसा

वो तूफान काफी है,पन्नो को भरने के लिए---यू तो हर लम्हा तेरी ही यादो के साथ चलते आए है,पर

जुदाई-खास पे क़यामत की हद तक फफक फफक कर रोये है---लौटना तो तेरा अब मुनासिब ही नहीं

पर तेरी दुनियां मे कब आ जाए,यह बताना तुझे जरुरी है तेरे तसल्लीबख्श होने के लिए---

Sunday 19 March 2017

रूह ने रूह को पुकारा यू ऐसे..कि यह ज़िन्दगी फ़ना हो गई--जिस्मे-जान नहीं रहे बेशक,पर इबादते-पाक

मे दुआ क़बूल हो गई--- दुनिया की समझ से परे है तेरे मेरे प्यार का यह अनमोल सा रिश्ता---जो टूटा

है मगर खत्म नहीं हुआ अब तक---लोग तेरे मेरे घर को जानते है ईट-पत्थर का एक घर,पर वो एक मंज़र

है रूह से  रूह को मिलाने की जगह---बस इंतज़ार है इन सांसो के टूट जाने का,फिर तो रहना है वही जो

तेरे मेरे प्यार का आशियाना है---
ना तब शिकायत थी,ना आज है--सादगी से भरा  जीवन कल भी था,तो आज भी बरक़रार है---साथ चलने

का वादा कल भी था,साथ जीने की ख्वाइश आज भी है---बरसो बीत गए साथ छूटे हुए,पर तेरे दिए उस

ताजमहल मे रहने का मन तो आज भी है----खनक चूड़ियो की आज भी बजती है कानो मे मेरे,यह बात

और है कि उन चूड़ियो की धरोहर आज भी तेरी तस्वीर के पास मौजूद है--

Wednesday 15 March 2017

न लगा पहरा मेरी नज़रो पे,यही तो है जो तेरी मुहब्बत को सलाम करती है----तेरे कदम पड़ते है

जहाँ जहाँ,वही शिद्दत से सज़दा करती है---तू दूर रहे कितना भी मुझ से,या खफा भी हो जाए मुझ

से..पलकों के आशियाने मे छिप कर नज़रे चार कर लेती है---यह मुहब्बते-पाक है,जो तेज़ आंधियो

से भी ना रुक पाए गी..यह खुदा का नूर है,जो अपनी इबादत मे  तुझे भी याद करती है----
न छलका आँखों से मदहोशियो के यह ज़ाम,कि दिल बेताबी मे यू ही फिसल जाए गा---तुम हो जाओ गे

मेरे,और बदनामी का रंग मेरे सर पर आ जाए गा---होगा कसूर तेरे इस हुस्न का,पर मेरा इश्क तो

बेमौत मारा जाए गा---लोग दे गे सजा मुझ को,और तू फिर भी अपने ही हुस्न पे इतराये गा---यह इश्क

गुजारिश करता है,तू दूर रह इस आग से..फिर न कहना कि मुहब्बत का दाव तू हारे गा और इश्क यू

ही फ़ना हो जाए गा----




कभी दर्द तो कभी तन्हाई है,फिर क्यों यह ज़िन्दगी बेवजह मुस्कुराई है---आंसू लिए आँखों मे,ज़िन्दगी

की यह शाम ख़ुशी से क्यों हँस पाई  है----लम्हा लम्हा कतरा कतरा चुन रहे है फूल इन वादियो से,कौन

जाने कब कही वो लौट आये ---मन्नतो मे किन्ही खास दुआओ मे,हर बदलते हालात के किनारो मे वो

रात कभी तो आए  गी जिस के लिए यही ज़िन्दगी बार बार मुस्कुराई है----
कभी तो इस ज़मी पे उतर अपने शाही रसूख से परे---कभी तो देख इस दुनिया को अपनी रंगीन दुनिया

से परे---रवायत है इस दुनिया की कभी तो हम से मिलने आ जाओ---न बनो हम जैसे,पर सूरत अपनी

तो दिखाने आ जाओ----गरूर किस बात का है जानम,नकाब मे ही सही पर कभी तो खिंचे चले आओ---

नज़र कोई बुरी जो डाले गा तुम पर,वक़्ती तौर पे तुम को सँभालने आए गे--कभी तो आओ हमारी दुनिया

मे अपनी शोख अदाओ से परे----

Tuesday 14 March 2017

दिल के इस आंगन मे,दूर दूर तक बहुत ख़ामोशी है लेकिन---प्यार की इंतिहा खत्म नहीं है अब तक---

परिंदो के चहकने की वो प्यारी सी वजह,मखमली बिस्तर पे यादो के पन्नो की वो खामोश सदा---

कुछ कहे या ना कहे,कुदरत के इशारो पे रहने की वजह---यह ज़िन्दगी बहुत ही खामोश है लेकिन,हर

साँस के साथ दुआओ मे रहने की वजह--आज भी कहती है कि इबादत ही इबादत है अब जीने की वजह

Sunday 12 March 2017

तेरा साथ पाया है जब से,दुनिया बदल गई है मेरी--आईना देखते है जब जब,लगता है निगाहे ही बदल

गई है मेरी--तन्हाई से प्यार करने लगे है अब,कि तन्हाइयो से खुशबू आने लगी है तेरी--न बांध अब

निगाहों से मुझे अपनी,कि इन्ही निगाहों मे ज़िन्दगी अब उलझ गई है मेरी--बहुत खूबसूरत है अंदाज़

तेरा,बिन बारिश के भीग गई है वादियां दिल की मेरी---

Friday 10 March 2017

ना कर सके दुआ..ना कर सके वफ़ा...वादों को निभाने की कोशिश मे तुम  हम रहे दूर दूर,ज़ुदा ज़ुदा ---

तन्हाई ने कहा एक मोड पे,यह ज़िन्दगी तो है बेवफा बेवफा---ना कर यकीं इस पे,क्या पता कब हो

जाये यह खफा खफा---मुहब्बत की रंगी शाम पे कभी तुम कहाँ,कभी हम कहाँ..बरसता रहा यह पानी

मिलने के लिए हुस्न मिटता रहा,और इश्क होता रहा बस धुंआ धुंआ----

Saturday 4 March 2017

सालो से बेज़ुबाँ है,फिर भी रोज तुझ से गुफ्तगू करते है---आंखे भरी है आंसुओ के सैलाब से,फिर भी रोज़

तेरी तस्वीर को ज़ी भर निहारते है----वीरान है दिल तेरे बिना,पर इस सूरत को आज भी तेरे लिए संवारते

है----तेरे जैसी दुल्हन सदियो मे ही जन्म लेती है,बस यही तेरी बात याद करते है और हर जन्म तेरे होने

की खुदा से दुआ करते है----तुम देख रहे हो आज भी मुझे उन्ही शरारती नज़रो से,यह जान कर हम आज

भी तेरे प्यार मे डूब जाते है---
गुजरती हवाओ ने जो छुआ आज मुझ को,तेरी मौजूदगी का अहसास  हो आया---कदम चलते रहे और

तेरा  मेरे साथ चलने का वो वादा याद हो आया---ऐसा नहीं कि ज़िया नहीं इस ज़िन्दगी को मैंने,पर हर

सांस के साथ तेरे साथ गुजरा वो ज़माना याद हो आया---कंगन नहीं,पायल नहीं,सिंगार का आलम नहीं

सादगी मे लिपटा..आज भी तेरा मुझे शोख नज़रो से देखने का वो वक़्त याद हो आया----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...