चलते रहे ताउम्र अकेले तो आज सहारे या साथ की जरुरत क्यों...सिखाया सभी को अकेले चलना तो
खुद के लिए आज इतने अश्क क्यों...लगता है आँखों मे भरा है कितना पानी...शायद सावन का मौसम
इन मे भी है...यू कहां रोते है हम,जब सब को हंसाने का वादा सब से किया करते है हम...अपनी मुस्कान
से दिलो को जीता है,फिर आज खुद से खफा होना क्यों...
खुद के लिए आज इतने अश्क क्यों...लगता है आँखों मे भरा है कितना पानी...शायद सावन का मौसम
इन मे भी है...यू कहां रोते है हम,जब सब को हंसाने का वादा सब से किया करते है हम...अपनी मुस्कान
से दिलो को जीता है,फिर आज खुद से खफा होना क्यों...