Thursday 30 May 2019

भोलापन मासूमियत से भरा नन्हा सा दिल..साफ़-पाक मन और जुबां पे सच के बोल..कह दिया सब

बिना सोचे,बिना जाने.. बेफिक्र कि दुनिया के लोग है कितने शातिर...तेरी भोली बातो से तुझ को ही

डुबोए गे..साथ देने का वादा कर के तेरे जज्बातो से खेल जाए गे..संभल जा,समझ इन के इशारो को ..

प्यार करते है तुझ से,इसलिए साज़िशों से बचाए गे..लगा कर काला टीका अपने धर्म को निभाए गे ..

Wednesday 29 May 2019

समंदर रहे शांत तो लहरें इत्मीनान से इधर-उधर चला करती है..वो कुछ नहीं कहता सब कुछ खुद

मे जज्ब करता है..लोग आते है समंदर के नज़ारे देख खुश होते है..समंदर की सतह पाने की कोई

जुर्रत भी नहीं करते..शांत है तो लहरों को पनाह देता है..रूद्र रूप मे आ जाये तो सब कुछ तबाह कर

देता है..
मौत और ज़िंदगी की जंग मे..पूछा मौत ने, क्या मेरे साथ चलने से डर जाओ गे..मेरा आना निश्चित

है,जरा सोच कर बताओ गे..ज़िंदगी जो है साथ खड़ी,कहा उस ने.. सांसो की कीमत तो मुझ से है,

प्यार के लिए भी मेरी जरुरत है..खुशनसीबी भी मेरे दम से है..हम ना उलझे,ना दोनों से डरे...ऐ

ज़िंदगी तू दे गी जब तल्क साथ भरोसे का,हम तुझी मे खो जाये गे..वरना मौत से  भी है उतना ही

प्यार,जो कभी बिखरे बुरी तरह,तो कसम से साथ मौत के ही चले जाये गे...
जान हथेली पर रख कर ज़िंदगी को दोस्त बना लिया हम ने..ज़माना बोले हमे हरजाई,खुद ही को

दग़ा दे दिया हम ने..काँटों ने बार बार उलझाया,झाड़ियों मे दामन भी फसाया..कुछ ना हुआ तो

फूलों से मिलने के बहाने उस के काँटों से रूबरू करवाया..अब तो ज़िंदगी की शाम है,अलविदा कभी 

भी हो जाए गी..सुन जान मेरी,जब बना लिया दोस्त तुझे ऐ ज़िंदगी,तो अपनी जान भी किस काम

आए गी.... 

Tuesday 28 May 2019

बहुत शिददत से आज फिर माँ को पुकारा हम ने...उलझ गए है ज़िंदगी के तानो-बानो मे,बस सही

राह ढूंढ रहे है..बहुत कुछ खो दिया,बहुत कुछ गवां दिया..जो पाया वो भी तुझ को बता दिया..आज

भी जाने से कदम रुक नहीं पाते तेरे आंगन मे..तुम चली गई,मैं भी चली जाऊ गी...बस रह जाए गी

कहानियां,जो तेरे-मेरे इतिहास को नई नस्लों को समझाए गी...काश,तुम होती आज साथ मेरे,तो

आज भटकने से बच जाते,तेरी ही गोद मे सर रख कर ज़िंदगी गुजार देते...
पीछे मुड़ कर जो देखा,बहुत अँधेरा था..खौफ का वो सिलसिला,दहशतो मे सिमटा हुआ..सांसो को

जीने के लिए कुछ सांसे थी चाहिए...दम घुटा फिर इतना कि खुली हवा की तलाश मे खुद ही बाहर

आ गए..चांदनी से बेखबर उस के चाँद को निहारते रहे..चाँद बोला खौफ किस बात का,मुझे भी सांसे

चाहिए..बह गए दो बून्द आंसू,भूल कर उस खौफ को चाँद मे ही खो गए..
दर्द को हवा मे उड़ाया तो इस दिल को सकून आया..बेजान परिंदे के ज़ख्मो के सहलाया तो इस दिल

ने सकून पाया..परियो की कहानियाँ बहुत सुनी थी मगर,आज जब किसी को ज़िंदगी के मायने

समझाए तो खुद को परी बना बेहद सकून पाया..आगोश हमारी थी मगर जब परिंदा बाहों मे हमारी

मुस्कुराया ,तो इस दिल को बहुत ही सकून आया...

Monday 27 May 2019

आज उन को सात जन्मो के लिए मांग लिया रब से हम ने...दौलत के तराज़ू से परे,सादगी का

वादा मांग लिया अपने रब से हम ने..पूजा की रस्मे कभी निभाई नहीं,तेरी चौखट पे कभी कुछ

चाहा भी नहीं..आंसू भी छलके तो खुद से भी छुपा लिया खुद मे..याद आई भी उन की तो सीने मे

सब दफ़न कर लिया हम ने..शहंशाह तो रहो गे तुम मेरे,मगर मुमताज़ तेरी बनने के लिए जन्म तो

फिर से लेना होगा...
अपने इश्क की दास्तां सुनाते सुनाते वो रो पड़े..धोखा खाया है किसी के प्यार मे,ज़िंदगी से बेज़ार

हुए फफक कर रो दिए...डर था जिसे खोने का,उसी के जाने पर बिलख बिलख कर बिखर गए..कसूर-

वार नहीं हू पर अब तन्हाई से डरता हू..''जो छीना जाए वो प्यार नहीं होता,जो मेहबूब के सज़दे मे झुक

जाए वो क़ाबिले-एतबार होता है'''''अब कैसा डर तन्हाई का,अब कैसा खौफ खो देने का..
नींद रूठी जब आँखों से,रात बोझिल हुई जब रुकी सांसो से...तब भी मुस्कुराए आधी अधूरी नींद मे ..

मदहोशियों ने घेरा जब उन्ही के ख्याल से,खुद की सूरत मे,अक्स उन्ही का नज़र आया..खामो-ख्याली

मे गुजरते रहे कुछ लम्हे इसी इंतज़ार मे..दीदार होगा कब मगर,भूलते गए अपने ही होशो-हवास मे..

ज़िंदगी ले आई हमें ज़िंदगी की शाम मे,कुछ सपने सच होते नहीं..सोचा हम ने उन्ही की बातो के

फरमान से...

Sunday 26 May 2019

परवाना नहीं,दीवाना भी नहीं..जो लुटा दे मुहब्बत हम पर वो मजनू भी नहीं...इशारो की जो भाषा

समझे,वो कातिल सा इंसा भी नहीं..बेशक साथ मेरे हर पल ना रहो,आँखों से दिन भर ओझल भी

रहो..तपती धूप हो या तूफान हो तकलीफ़ों का,बिन पुकारे जो तुम चले आते हो..ढूंढ़ती है नज़रें जब

भी शिद्दत से तुम्हे,होते हो सामने मेरे..मेरी किस्मत के मसीहा बन के...
खामोशियो मे यू ना ग़ज़ल गुनगुनाया कीजिये..रस्मे-उल्फत का कुछ तो ख्याल कीजिये..इंतज़ार

करती है हमारी सरगोशियां,धीमे से गज़ले-रस्म अदा कीजिये..कही कोई और ना सुन ले,मेहमान-

नवाज़ी से जरा दूर रहा कीजिये..नज़दीकियां बढ़ाने के लिए ग़ज़ल का इक लफ्ज़ ही काफी है..हुस्न

कर रहा है सलाम,शहंशाह मेरे इश्क को कुछ तो नाम दीजिये...

Saturday 25 May 2019

बार बार जाने की बात ना करो,धड़कन इस दिल की थम जाए गी...अब यह ना कहना कि दिल तो

हमारे पास है,थमने की रफ्तार भी हमारे कहने से चलती-रूकती जाए गी...तेरे प्यार के धागे से बंधे

नाम तेरे को साथ लिए,धड़कन की कहानी क्या.. ज़िंदगी को भी तेरे साथ जिए..जाना तो अब दूर रहा

रूह के तार भी अब तेरे नाम किए..रूह को दूर करो गे कैसे,जन्म तो सारे रूह तेरी के साथ बंधे..
अश्को के सागर मे नाम तेरा, भिगो कर जो पुकारा...दर्द तो जैसे हवा हो गया...फिर तो श्रृंगार किया

ऐसा कि इन लबों को जैसे मुस्कुराना ही आ गया...झंकार यह पायल की,तुम्हे आज सोने दे गी तब

ना...चूड़ियाँ जो खनके गी आज,चांदनी भी कहे गी चाँद से तू अब जरा छुप जा...बेपरवाही से जो

बिखरे गे यह घनेरे बादल,फिर ना कहना रिमझिम की यह बेला अब रुके गी कब तक...

Friday 24 May 2019

दोस्तों...मेरी शायरी किसी भी खास व्यक्ति या किसी को भी मद्देनज़र रख कर नहीं लिखी जाती है..यह शायर की कल्पना की उड़ान है,जो उस की कलम को हर विषय पे लिखने को प्रेरित करती है...मेरे लेखन को पसंद करने के लिए शुक्रिया .....
आज मौत को देखा बेहद क़रीब से,तो सांसो से और प्यार हो गया...मौत मे कितना सकून है देखा तो

ज़िंदगी से पलटवार कर दिया ...चंद सांसो के लिए यह ज़िंदगी बहुत सस्ती सी लगी..यह लोग यह

रिश्ते सब बेमानी से लगे...सांसे जो कभी भी बेवफा हो जाए गी,एक पल मे कही से कही चली जाए गी..

खुल के जीना है यह वादा खुद की ज़िंदगी से किया,देखते ही देखते इन बची सांसो से इश्क हो गया...
सिक्को की इस दुनिया मे इंसानो को पागल होते देखा...कदम-दर-कदम इन के लिए चाल चलते

देखा..शोहरत का बुलबुला और पानी मे आग लगाते भी देखा...आज भी इन सांसो को हथेली पे रखे

जी रहे है..किस पल विदा ले ले,यह सोच कर रोज़ बिंदास जी रहे है..तेरी दुनिया रब्बा मेरे,रास नहीं

आई..खुल के जीने पे जहा है बंदिशों की रसमाई...तोड़ कर ही जाए गे यह रस्मो के बंधन,फिर तू

कहां और मैं कहां..अल्फाज़ो मे रहे गा यह जीवन...

Sunday 19 May 2019

दौलत के तराज़ू मे अपना सकून ना तोल पाए गे..यह ज़िंदगी सिर्फ और सिर्फ अब हमारी है,खुद की

शर्तो पे जीना चाहे गे..रेत पे महल बनाने को राज़ी नहीं,सूरज को चाँद कहे यह भी हमारे बस की बात

नहीं...जो फिसल जाए हाथो से,वो वक़्त नहीं है हम...दुआये साथ है इतनी कि दौलत को खोजने की

हसरत ही नहीं..सकून से सोने के लिए,सोने-चांदी का बिस्तर नहीं होता..खुदा के नाम से जय्दा कोई

और नाम नहीं होता..यही ज़िंदगी है,जिस मे कष्ट का काम नहीं होता...
वो धीमे से,उन का चिरागो को जलाना...रोशन रात को कर के,नज़दीक मेरे आना...बरसो बीत गए

मगर आज भी आप का यह कहना '''सदियों मे पैदा होने वाली दुल्हन हो मेरी ''' और फिर उसी मासूम

शरारत से मुस्कुरा देना...निहाल है हम भी यह सुन कर,मुस्कुराए है उन्ही मासूम अदाओ पर...बुझा

दीजिये इन चिरागो को,दुनिया के अच्छे-बुरे लफ्ज़ो से क्या लेना,क्या देना..शहंशाह हो आप मेरे

सदियों से हू,सदियों तक हू..दुल्हन आप की ..

Saturday 18 May 2019

किस्मत की लकीरो से समझौता कर चुके है...जो नहीं मिला,उस का गिला अब करना बंद कर चुके है..

मुट्ठी भर सपने जो देखे थे कभी,उन के टूटने का अफ़सोस भी करना भूल चुके है...जो आज है उसी को

अपना मान कर,ख़ुशी से जीना सीख चुके है...कभी यह आंखे जो बार बार बरस जाया करती थी,उन को

छिपाने की कला अब सीख गए है...बरसती तो आज भी है,मगर हौले हौले खुद मे सिमटना सीख चुके

है...
पटरी पे साथ साथ चलती है,मुकाम तक पहुँचाती भी सभी को है..सहन कर के इतना बोझ मंज़िल

तक ले जाती है...अफ़सोस मगर कभी आपस मे मिल ही नहीं पाती है..इश्क की कहानी भी कुछ

ऐसी ही है,पाक मुहब्बत को खो कर भी उस की सलामती की दुआ किया करती है...यह जानते हुए

भी  कि वो उस की तक़दीर का हिस्सा भी नहीं...जो कुर्बान हो कर भी दुआ देती है,वो सिर्फ मुहब्बत

नहीं..दास्तानें-खुदा हुआ करती है...

Friday 17 May 2019

टप टप टप...यह आवाज़ बारिश की होगी,सुन कर अनसुना कर दिया हम ने...बरसे गी अपनी हद

मे यह ख्याल कर सोने का मन बना लिया ...हवा का तेज़ झौंका आया,सब कुछ हिला गया...हद से

जय्दा जो बरसा पानी,अचानक से रुक सा गया...टप टप टप...यह आवाज़ तो दिल की धड़कन से

आई है,शायद पुकारा है किसी ने प्यार से तभी तो यह बिजली भी कौंध कर हमी को जगाने आई है..

शहजादी हो या परी हो आसमां की...ज़न्नत से आई  हो या फूलो की पखुड़ियो से निकली हो..खुशबू

से सराबोर हो,तराशी हुई कोई मूरत हो...ओस की तरह ना टिकने वाली कोई शाही बून्द हो..इबादत

कर ले तेरी या नज़र उतारे बार बार यू ही...अल्लाह तौबा...जमीं पे रहते है,आसमां में उड़ना मेरी

फितरत ही नहीं...हाथ जोड़ दिए तेरे सज़दे मे,इस से जय्दा मेरी औकात ही नहीं...
वो एक क़तरा उस के आंसू का,जैसे आज भी मेरे हाथ पे कायम है...जज्बातो का सीने मे दबा लेना,

पर मुस्कुरा कर हमी से बाते करना.अजब अंदाज़ अब भी कायम है...आँखों का बार बार भर आना..

गिर गया आँखों मे कुछ,फिर खिलखिला कर इतना हसना  कि सच मे आंसू बहा देना...अंदाज़ कहे

या दाद दे उस की हिम्मत की,झिलमिला कर पलकों को गिराना फिर उठाना...और हम को बस

हमी से चुरा लेना...
आसमां को छूने की इक ज़िद है हमारी..टूटे या फूटे पहुंचे गे आखिर मंज़िल तक हमारी..ज़िद है गर

अपनी तो सहना भी बहुत कुछ होगा...सितारों से आगे जहां और भी है,यह भी मानना होगा..सहारो

की नहीं बस इक मसीहा साथ हमारे हो,गर्दिश मे हो तारे तो राह दिखाने वाला हो...नामुमकिन को

मुमकिन करना भी तो ज़िद होती है...फिर यह ज़िद आसमां को छूने की हो,तो कौन सी खता बोलो

हमारी है...
दूर तल्क जाने की चाह मे क्यों राह मे हार गए...ज़िंदगी बहुत लम्बी है बेवजह परेशां हो गए ...टुकड़े

कर के खुद अपने ही दिल के,दुसरो से इनायत की भीख कभी मांगी जाती है...यह तो दुनिया है यारा

झुकाने से कब बाज़ आती है...जो सलाम बजा दे बेवजह,थोड़ी देर के लिए उस की होती है..याद रखना

रूह को जो छील दे,वो इज़्ज़त नहीं भीख होती है...चल सिर्फ अपने ही दम पर,यही अपनी ही हिम्मत

की जीत होती है...

Thursday 16 May 2019

बहुत कुछ कहने के लिए जरुरी तो नहीं कि लबो  को पूरा खोला जाए..इज़हारे-इश्क करने के लिए तेरे

नाम का इक लफ्ज़ ही काफी है..फूलो से सजा हो आशियाना सारा,इक फूल खिला हो दिल के आंगन

मे इतना ही काफी है..दौलत के ढेर से खुशियाँ कहां आती है,चंद सिक्को मे जो ज़िंदगी को प्यार से

नहला दे यही काफी है..सांसो का लेखा-जोखा ना कर,जितनी उम्र मिल जाए उस मालिक की मेहरबानी

है...
हौले हौले इक सरसराहट सी हुई..लगा जैसे रूह पे किसी ने दस्तक दी..फिर लगा कुछ धोखा है

ज़मीर का..उठती-गिरती सांसो से कोई अजीब सा भुलेखा है..आँखों को जो खोला नज़र कुछ नहीं

आया..खुली हवा मे आए तो वादियों को भी खामोश ही पाया..कुछ तो है ऐसा जो चल रहा है साथ

मेरे..रूह ने ऐलान किया,सरसराहट तो है उस प्यार की..जिसे ढूंढ़ने तेरा दिल कितनी बार बर्बाद

हुआ...

Tuesday 14 May 2019

गर्म मौसम मे गर्म रेत पे चल कर भी, क्यों सर्द आहे भरते हो--पसीना बहाने की जगह,क्यों अश्क

बहाया करते हो---चांदनी रात मे देख चाँद को,क्यों उस के नूर से जला करते हो---दाग उस मे है

लेकिन, चांदनी के प्यार को क्यों महसूस नहीं किया करते हो---बाहें फैलाए खड़ी है नई राहे,जिन को

गले लगाने से क्यों डरा करते हो---धक् धक् दिल तो करता है मगर,इन की धड़कनो को समझने से

क्यों डरते हो---

Monday 13 May 2019

जनून है तुझ से मिलने का---जनून है अल्फाजो को लिखने का---जनून है अपने मकसद को पूरा करने

का---वही तक बंधी है डोर इन सांसो की,मकसद जहा ख़त्म  हुआ---बात रही इन अल्फाज़ो की,आखिरी

साँस तक कलम उठाए गे---कितने ही बचे है लफ्ज़,जो इन्ही पन्नो पे उतार जाए गे---कहानी ज़िंदगी

की अपनी,शर्तो के साथ लिख जाए गे----जनून जिसे पढ़ने का होगा,यह अल्फ़ाज़ उसी के हो जाए गे----
उलझनों के दलदल मे कितनी बार फ़से...ग़ुरबत  ने कहा चल साथ मेरे...दर्द बोले उम्र भर हू पास तेरे ...

धीमे से नैना बोले,आसुओ की धारा मुझ से ले ले....पीछे कहाँ रहे दिल-दिमाग के पुर्ज़े,नज़र तुझे अब

मेरी ही लगे...मुस्कुराएं हम..अरे.यह तो अपने है साथी सभी...फिर क्यों मेरे दुश्वार बने...जवाब एक

दिया सब को..जब साथ मेरे अल्लाह-ईश्वर,फिर बार बार तुम से क्यों डरे...

Saturday 11 May 2019

खामोशिया बस आवाज़ देने को ही थी..कि उस ने हमारा शहर ही छोड़ दिया...इज़हार करने को ही थे

कि उस ने हम से नाता ही तोड़ लिया...शर्म का पर्दा गिराने के लिए,हिम्मत कब से जुटा रहे थे...बात

कहने के लिए अल्फाज़ो को ढूंढ ही रहे थे..कहानी उस की मेरी हो सब से जुदा,नज़र ज़माने की हम को

ना लगे इन्ही अल्फाज़ो को बताने वाले ही थे कि उस से पहले ही उस ने हमारा शहर छोड़ दिया...

Thursday 9 May 2019

इतना भी ना चाह मुझ को,कि वज़ूद तेरा अपना ही ना रहे...इन सांसो का क्या भरोसा,आज है कल

रहे ना रहे...मिट्टी के है पुतले यहाँ,धरा मे कही खो जाये गे...सांसो का मोल समझ,ज़िंदगी फिर

लौट के ना आये गी...बहुत कुछ करना है अभी,पुरानी यादो से निकलना है अभी...दोनों हाथो से

फिजाओ मे प्यार बहाना है अभी..किसी की यादो मे आए गे बन के फरिश्ता तो किसी को रुलाए

गे यादो का बन कर गुलदस्ता ...

Wednesday 8 May 2019

ना बिखर ज़िंदगी मे मेरी तमन्ना बन कर--आना है तो आ ओस की बूंदे बन कर---बूंदे अश्को की

ना देना ज़ुदा हो कर,मुनासिब हो तो बने रहना खुशबु बन कर--नाज़ुक है दिल यह मेरा,हलकी सी

ठसक से टूट जाए गा--परिंदे हो जाए गे ग़ुम,आशियाना उन का भी बिखर जाए गा--मेरी किस्मत

का खज़ाना धीमे धीमे मद्धम पड़ जाए गा--मुनासिब हो तो बने रहना खुशबु बन कर---

Tuesday 7 May 2019

आ ज़िंदगी..आज मन है तेरे साथ खेल खेले..दुखो और गमो का..देखे तो,कितना हठ है तेरे मेरे

बीच...तू देती जा दुःख और गमो के रेले,आंसुओ के बीच भी मुस्कुराए गे तेरी ऐसी ज़िद के आगे...

देख चुकी ना मुझे दे के हज़ारो दुःख-दर्द...कभी कुछ छीना मुझ से,कभी दे दी जुदाई अपनों की...

क्या मिला तुझ को,यह सब दे कर...जिस ने थामा दामन उस मालिक का,उसे तू क्या हरा पाए गी..

जो जी लिया अपनी खुद्दारी मे,उस की सांसे भी छीने गी तो भी यह शख्सियत हंसती हुई इस जहाँ

से जाये गी ....
राज़ छुपा ले या राज़ बता दे---ज़िंदगी को यु ही चलने दे कि तेरे कदमो मे बिछा दे---निकले थे तलाश

मे मंज़िल की,तेरे मिलने को किस बात का आगाज़ कहे---ना बार बार गुजर मेरी राहो के नज़दीक से,

चांदनी रात भी होती है तलाश मे बेहद गरूर से---ढूंढ़ती है वो किस को,राज़ तो उस ने भी छुपाया है----

खूबसूरती को नज़र किसी की ना लगे,चाँद ने खुद को दाग लगाया है---तारे भी रश्क करते है,कि राज़

तो चांदनी ने भी छुपाया है---



छुई-मुई की तरह सिमट गए है--तेरे छूने भर के ख्याल से काँप रहे है--धड़कनो की रफ़्तार कम होने

को राज़ी ही नहीं--पाँव है कि ज़मीं पे टिकने को तैयार नहीं---कितनी बार सँवारे इन गेसुओं को,ज़ालिम

बंधने के काबिल ही नहीं--खामोश होने को जो कहते है इस कंगना से,झूमती नदिया की तरह कुछ

भी मानने को सुनता ही नहीं--शायद सभी को इंतज़ार है मेरे साजन का,लेकिन हम छुई-मुई की तरह

सिमट सिमट गए है---

Sunday 5 May 2019

दिल रूह जिस्म और जान..अक्सर करते है यह गुफ्तगू..इस जहां मे दिल सब एक से क्यों नहीं..

जिस्मो-जान से बंधे यह रिश्ते,रूह के आस पास क्यों नहीं..हकीकत क्यों समझ नहीं पाते,टुकड़ों मे

जीते जीते क्या थक नहीं जाते..यह जिस्मो जान तो खाक हो कर हवाओ मे गुम हो जाया करते है..

यह रूह ही है जो निकल कर जिस्मो से भी,गुफ्तगू जारी रखा करती है...
मुश्किल राहो मे मेरे साथ चलने से,क्यों मुकर गए--तपती रेत मे झुलसने से,क्यों डर से गए--ज़िंदगी

तो धूप-छाँव का रेला है यारा,साथ देने की जगह हिम्मत ही हार गए--अकेले चलना तो फितरत है

हमारी--पर बदकिस्मती अब है तुम्हारी,मुहब्बत की बाज़ी जीतने की जगह तुम हार गए--सहारे लेना

अपनी आदत ही नहीं,तुम तो सिर्फ साथ चलने से ही मुकर गए--

Thursday 2 May 2019

दौलत के ढेर चुने या नियामतों मे रहे--ऐशो आराम चुने या माँ बाबा की दुआओ मे रहे--तोहफों को

रखे या अल्लाहमियां की मेहरबानियों को चुने--ज़िंदगी तो एक है,जिए तो किस तरह जिए--सकून

से जीने के लिए हसरतो की सुने या दिल अपने की सुने-- यह सांसे जब रोज़ चलती है उस की रज़ा से,

दुआए रहती है  माँ बाबा की आँखों की नमी मे--फिर और क्या मांगे उस खुदा से,बस नियामते ही रहे

मेरी बगिया मे--

Wednesday 1 May 2019

नज़र सलाम करे या नज़र उदास रहे-रहती तो तेरे आस पास ही है--दो बून्द आंसू कभी जो छलक आए

उन के बहने की वजह भी तेरे पास ही है--कुछ कह दिया इस दिल ने तुझे,हौसला-अफ़जाई के लिए

नज़र का झुकना लाजमी ही तो है--सपने जो देखे तेरे साथ जीने के लिए,कदम दर कदम साथ चलने

के लिए--यह नज़र ही तो है जिसे बंद करे तो भी तू मेरे आस पास ही तो है--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...