Wednesday, 16 March 2016

मौसम का यू बरसना..फिर बरस कर थम जाना...तेरे आने की वजह तो नही---तू चला

है मॅजिल की और..हवाओ के बहकने की इक वजह यह तो नही--खुशगवार है साॅसे मेरी

..फिजाओ के रॅगीन होने की अदा तो नही--इॅतजाऱ है अब तेरा सुबह शाम...फिर से इस

बारिश का आना..तेरे मेरे मिलन की यह वजह तो नही----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...