Sunday 29 November 2015

तेरे बगैर यह जिनदगी अब जी नही जाती---हजाऱ कोशिशे के बावजूद,तेरी यादे भुुलाई

नही जाती---यह आॅसू जो बहते है झरनो की तरह,मुसकुराना भी चाहू तो इन लबो की

ताकत साथ नही देती--यह कैसी बेबसी है मेरी, कि जान से मेरी यह रूह निकल ही नही

पाती----

Saturday 28 November 2015

अपने सभी दोसतो को नई सुबह का सादर नमसकार--यदि अपने जीवन की खुशिया

आप दूसरो मे तलाश करते है तो आप हमेशा अकेले और दुखी ही रहे गे--पर जब इन

खुशियो को खुद मे तलाश करे गे तब यकीकन आप ना तो अकेले होगे ना दुखी--आप

सभी को मेरी शुभकामनाए----

Friday 27 November 2015

आज जी भर कर रो लिए,उन से मिलने के बाद---गुफतगू के सिलसिले जो चले,इनितहाॅ

 हुई फिर सिसकियो के साथ----यह दरद जो जानलेवा है इतना,भूलना चाहा उनहेेे तो

याद आ गए वो-तमाम यादो के साथ---यह मुहबबत है या फिर मेरी रूह के जखमी होने

का सिला,मिलते है उन से तो भी उदास है--और ना मिले तो बस बेकरार है-----

Tuesday 24 November 2015

मेरी हॅसी मे छिपा है,मेरी जिनदगी का अनदाजे-बयाॅ---खुदा की रहमतो का सिला,

मुहबबत की फिजाओ मे छिपा---यू ही नही देती है मेरी आॅखे खुशियो के पैगाम--कि

जहा जहा रख दू यह पाॅव,वही बस जाए मननतो का सॅसार-हवाए दे रही है दसतक मुझे

छू कर कि भर लो खुशिया---आई हू जहाॅ मे नूरे-खुदा बन कर---

Saturday 21 November 2015

तेरे इशक का दरिया बहता है आज भी,मेरी रूह के वजूद मे---बेशक दुनिया यह समझे

कि मशगूल हू मै,शाही जिनदगी के ऱसूख मे---दौलत से खरीदे  ना जाने कितने महल,

लुटाया खजाना ना जाने कया सोच कर----पर आज भी हर लमहा तेरी मुहबबत की

गुरबत मे,बहुत तनहाॅ और मायूस हू------

Thursday 19 November 2015

लबो पे लेते लेते तेरा नाम,बदनाम हो चुके है हम---चाहते चाहते तेरी चाहत के नाम,

खतो को लिखते लिखते बेनाम हो चुके है हम----मत कहना कि बेवफाई की है हम ने

तेरे नाम के साथ--इन चूडियो की खनक मे लिख चुके है तेरे पयार का पैगाम---रातो की

नीॅद उडा दी तेरे कातिलाना अनदाज ने,खुद को तुझ से जोड कर यह जिनदगी कर चुके

है तेरे नाम------

Wednesday 18 November 2015

बिना नकाब पहने,वो बदलते रहे चेहरे पे चेहरा--हर चेेहरा देता रहा-पैगाम अपना अपना

-खयाल अपना अपना---शमाॅ बुझी तो दीवाना हुआ रौशन--कहा गया वो सुऱख जोडे मे

सिमटा दिलदार मेरा---बहकते कदमो से जो उठाया दुपटटा उस का--हर शखस सामने

आया,बुझे कदमो से सलामी देता हुआ------

Monday 16 November 2015

रहमत तेरी से,यह आॅखे कयू नम हो गई--जो कहा तुम ने,उस अदा से यह शाम रॅगीन

हो गई---फलसफा तेरी रूसवाई का,मुझे नामॅजूर कर गया--धडका जो दिल,फैसलो को

बदलता चला गया---रात तो अब होने को है,तेरे आने की आहट से ही कयू यह चेहरा

गुलाब हो गया----

Saturday 14 November 2015

तेरी मुहबबत मे तो कोई बॅदिश ना थी,पर हम ही बॅध नही पाए---तूने तो दी खुली साॅसे

मुझ को,पर हम ही वो साॅसे ले नही पाए-याद करते है आज भी तेरी तमाम मेहरबानिया

,वो मुहबबत-वो दीवानगी--यह साॅसे तो आज भी कायम है,पर भूले तो कैसे भूले कि इन

साॅसो मे महक रही है आज भी-तेरे साथ गुजारी वो बेपरवाह तनहाईया-----

Tuesday 10 November 2015

अपने सभी दोसतो को दीपावली की शुभकामनाए--दोसतो अपने कीमती समय से थोडा

सा समय़ उन लोगो को दीजिए,जो जीवन की छोटी छोटी खुशियो के मोहताज है--उन

को वो छोटी छोटी खुशिया दीजिए-फिर जो मुसकान आप उन के चेहरे पे देखेे गे,एक

गहरा  सकून आप को मिले गा--इस नेक काम को आज से ही शुरू कीजिए,और अपनी

जिनदगी को नई राह दीजिए--शुभकामनाए सब के लिए---- 
दीपक जले सब की दुनिया मे,अॅधेरा कही ना हो---यह तो है साल का मौसम,पर आप

सब का जीवन-मौसम सदाबहार रहे---ना पी कर घर की खुशिया बरबाद करे,हो सके तो

दूजे के गम को हलका करे---खुदा बैठा है ऊपर-तेरे मेरे करमो का हिसाब करने के लिए-

कर लीजिए शुकराना उस का,कि साॅसो का यह ताना-बाना फिर जुडे ना जुडे---

Sunday 8 November 2015

मै मुहबबत हू तेरी,तेरा महका सा चमन--ना पाना कभी खुद को तनहा,कि हू मै तेरा

अनदाजे-बया---शाख से टूटा हुआ फूल हू बेशक,पर जिनदगी तेरी से जुडा हू इक परवाने

खिजा---परिनदो की तरह उडना नही सीखा,पर रजा तेरी से जुडा है मेरा शाहे-खुदा----

Friday 6 November 2015

खौफ का वो मॅजर,वो साजिशो का धुआ-बसर ही नही कर पाए,टुकडो मे बटी वो खामोश

 जिनदगी---मेहमाॅ बने उन तराशे इनसानो के लिए--जहा बगावत भी नही,तकरार का

कोई सिला भी नही---जुबाॅ तो आज भी खामोश है,पर सिसकियो का वो दरद कभी रूका

ही नही----

Thursday 5 November 2015

बदलते रहे आशियाने कई-पर कहने को अपना कोई भी नही---समनदर की रेत की तरह

-खवाहिशो का दौर बदलता ही रहा---दिलो दिमाग मे बसा वो हमसफऱ कही भी नही--

वजूद मेरा जिनदगी बन ना सका--दौलत शौहरत की दीवारो मे कैद,पर इनसाॅ तो कही

भी नही--अशक बहते रहे बहते रहे--पर मनिजले आशिक तो कही भी नही-कही भी नही

Wednesday 4 November 2015

अपने सभी दोसतो को सुबह का नमसकार---दोसतो भगवान् को  जब मन की गहराई

से याद किया जाता है,सममान के फूल दिए जाते है-यकीकन आप के जीवन मे,आप वो

सकून पाते है-जो इस दुनिया मे कोई इनसान आप को नही दे सकता--बस मन आतमा

साफ रखिए-जय साई राम----खुश रहे-मसत रहे---

Monday 2 November 2015

अपने सभी दोसतो को सुबह का सलाम--दोसतो-जिनदगी एक खूबसूरत एहसास है--

मौत के खौफ से इसेे जीना ना छोडे-अपनी जिनदगी अपनी मरजी से जिए--किसी के

दबाब मे आ कर अपनी जिनदगी के फैसले मत करे-सिरफ अपने जमीर की आवाज ही

सुने--भगवान् तब आप के साथ है--शुभकामनाए सब के लिए----
दे कर तुझे यह जिनदगी,खुद से आजाद हो गए है हम--साॅसे भी अब जब लेते है हम--

खुद की बनदगी से भी बहुत दूर हो गए है हम---हजारो चेहरे देखे है राहे जिनदगी मे,पर

चेहरे तेरे की रॅगत से बस रौशन हो गए है हम--वो तेरा देखना मुझे मुड मुड के पीछे से--

इसी अदा पे तेरी कुरबान हो चुके है हम---

Sunday 1 November 2015

गहरे ऱाज की वो बाते,अब तो बता दो मेरे हमदम---जखम दिल पे लिए कयू बैठे हो,अब

करीब मेरे आ जाओ हमदम---वकत तो रूकता नही किसी के लिए,फिर आज भी कयू

तनहा हो उस जानम के लिए----मै हू ना तेरी उममीद-ए-वफा,अब तो भुला दे दऱद-ए-

सजा--सपने तेरे सजाने के लिए,बन के आई हू तेरी शहजादी-निकाह----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...