Thursday 31 December 2015

नया साल आप सब को बहुत बहुत मुबारक हो--शुभकामनाए सभी के लिए----दोसतो

किसी के अहसानो का करज अगर आप चुकाना चाहते है तो उस के दिल के खाते मे---

अपनी दुआए जमा करवाते जाईए---कर के देखिए -- बहुत सकून मिले गा--नई सुबह

मुबारक हो----
तेरी चाहत के लिए-वही रॅगत वही शोखी-वही चेहरे का नूर--कुछ नही बदला है,ना कुछ

बदले गा--तेरे जाने के बाद----खुद की सलामती मे गुजारा है यह वकत मैने--तेरे जाने

के बाद----दुनिया कया कहती है मुझे,फिकर नही इन बातो की आज---आना है तेरे पास

तेरी वही सदाबहार जानम बन कर--वादा जो तुझ को दिया मैने,निभा रहे है आज भी---

तेरे जाने के बाद-----

Monday 28 December 2015

खवाब तो टूटते रहे,बिखरते रहे---पर तुझे याद करना नही भूले---जिललते जमाने की

सही,फिर भी तुझे सलाम करना नही भूले---हजारो हसरतो को सीने मे दबाए,बेचैन होते

रहे-पर तेरी मुहबबत को आबाद करना फिर भी नही भूले----आज तुम नूर हो किसी और

की दुनिया का,पर अपनी नीॅदे आज भी उडा देना--नही भूले-नही भूले----

Sunday 27 December 2015

बॅधन तो नही,पर साथ हू तेरे---बात कुछ भी तो नही,पर हर खामोशी  मे गुफतगू होती

है तुझी से----वफा तूने कभी की ही नही,पर बेवफाई मैने तुझ से की नही कभी---दौलत

की दीवारे सदा साथ रही तेरे,पर मेरे पास खुले आसमाॅ से जयादा और कुछ भी नही----

साॅसे दी तुझे हर पल मैने,पर साथ मेरे चलने के लिए तेरे पास मुहबबत ही नही----

Friday 25 December 2015

धडकते दिल से--तेरे दिल की धडकने सुन रहे है हम---मदहोशी का आलम है-फिर भी

तेरी खिदमत को मुकददर अपना मान रहे है हम---खनकती चूडियो मे छिपा है-तेरे

पयार का ऐतबाऱ----फिर कयू ना महके मेरा जिसम-ए-सॅसार----मचल मचल कर कह

रही है मननते मेरी-तेरे साथ रह कर जिनदगी की तमाम खुशिया बटोर रहे है हम-----

Wednesday 23 December 2015

तेरी बेबाक बातो से,नजऱ कयू भर आई है--फिर कभी यू देर ना हो जाए,यह परेशानी

फिर कयू चली आई है-- दऱदे-दिल तुझे दे कर,यह खुशी की लहर कहा से साथ चली

 आई है---इनही लमहो मे यादे सजे गी तेरी,फिर सजदे के लिए कयू तेरी ही तसवीर

नजऱ आई है----

Sunday 20 December 2015

जिसम नही इक रूह हू मैै-खामोशियो की जुबाॅ समझने वाली,इक शहजादी हू मै--दरद

को इनही आॅखो मे समेटे,तेरे ही वजूद से जुडी तेरी ही दासताॅ हू मै---दे पनाह मुझे

अपनी आगोश मे,कि अब डूब जाऊ मै तुझ मे--आसमाॅ मे बहकती थिरकती इक रूह हू

मै-----

Saturday 19 December 2015

नई सुबह आप सब को मुबारक हो---दोसतो-लोग तब तक समझ नही पाते है कि आप

उन के लिए कया कया करते है--जब तक आप उन के लिए वो सब करना बॅद नही करते

-जो आप बरसो से उन के लिए कर रहे थे---शुभकामनाए सभी के लिए----
बदलते रहते जो मौसम की तरह-तो तेरे न हो पाते--बरस बरस कर जान दुसरो पे लुटाते-तो तेरे आँगन की खुशिया न बन पाते---मुहब्बत की बाज़ी जो जीती है हम ने -गर खुद के अरमानो को तेरा बनने पे मजबूर ना होते --इबादत की,सजदे किये तेरे आने की आहट से हम ने --हा यूँ सज सवर कर तेरे मुकम्मल न बन पाते ---

Thursday 17 December 2015

किसी कहानी की तरह,तुम कभी ना मुझे भूल पाओ गे---जो गुजर चुके लमहे,उन को

कहाॅ लौटा पाओ गे---बीत गए जो जिनदगी के वो साल,मुहबबत की वादियो मे भी कहाॅ

ढूॅॅठ पाओ गे---तनहा तो नही हैै लेकिन,वो खुशियो की सौगाते कहाॅ से ले कर आओ गे--

इबादत मे झुक गए है हम--शायद खामोशी मे एक दूजे को पहचान पाए गे हम----

Tuesday 15 December 2015

पायल बजती रही-बजती रही--और घुुुुघॅरू टूटते गए----बदहवासी के आलम मे-साॅसे

घुटती रही---खामोशिया चुराने लगी अलफाजो के बोझ--जुबाॅ थरथराती रही-थरथराती

रही---मौत के खौफ से-जिनदगी बेजाऱ होती रही---किसी के इनतजाऱ मे यह साॅसे फिर

भी चलती रही---कब आए गा वो मसीहा-आॅसूओ के दामन मे वो तसवीर---बदलती रही

बदलती ही रही-----

Friday 11 December 2015

उन की जुबाॅ से इकरार सुनने के लिए-धडकता रहा दिल---वो कब बनाए गे मुझेे अपना-

इनतजाऱ मे तरसता रहा यह दिल--ना जाने कब तक खफा रहे गे,वो मुझ से--फिर

बेचैन होता रहा यह दिल---आज जब तेरी ही पनाहो मे है-दोनो जहाॅ रौशन भी है----तब

भी कयू----धडक रहा हैै यह दिल---धडक रहा है यह दिल----

Wednesday 9 December 2015

मेेेरे चेहरे पे लिखी है तेरी चाहत की किताब--हर पनने पे लिखा है तेरे नाम से जुडा मेरा

हर अलफाज--मेरी वफाओ को समभाला है इन पननो ने--कल गर मै ना रहू इस दुनिया

मे,इस किताब के पननो मे मिले गा मेरा नाम तेरे नाम के साथ----मेरी जिनदगी की

आखिरी साॅस को सलाम देती रहे गी--तेरी चाहत की किताब---

Monday 7 December 2015

आ रही हैै आहट तेरे कदमो की-मुझ को---कशिश तेरे पयार की खीॅच रही है-मुझ को---

अदाओ से मेरी,डोल गया है वजूद तेरा--वफाओ से मेरी,महक गया है सॅसार तेरा---आ

छोड चले इस बेवफा दुनिया को---बसा ले आशियाना उस जननत मे---जहा मिले गी

रौशनी--तुझ को-मुझ से-----

Wednesday 2 December 2015

कह दीजिए ना अब-कि पयार करते है मुझ से---बोल भी दीजिए कि खामोशी मे भी,बाते

करते है मुझ से---लबो को सी लेने से,मुहबबत वीरान नही होती---आॅखो को बॅद करने

से,मेरी सूरत भूली नही जाती---अब तो आ जाईए,पहलू मे मेरे---यह जिनदगी तो दो

पल की है,तुम तो बस मेरी हो------अब तो कह दीजिए ना मुझ से------
अपनेे सभी दोसतो को सुबह का सादर नमसकार--दोसतो-जिनदगी की परेशानियो से

भागना,जिनदगी तो नही--खुद मे ताकतवर बनिए--किसी पर भी आॅखे मूॅद कर भरोसा

मत कीजिए--अपने पर विशवास कीजिए,आप खुुद मे सक्षम है--अपना सफऱ अपनी

मऱजी से तय कीजिए---साई बाबा तब आप के साथ है---जय साई राम---

Tuesday 1 December 2015

बदलते मौसम की तरह इशक रहा तेरा--बहकते कदमो की तरह यह हुसन रहा मेरा---

बारिश की बूॅदो मेे नहाई मेरी इजहाऱे-वफा---टुकडो टुकडो मे बटी तेरे इशक की बेवफाई

की वजह--मजबूर ना रहे तुम,ना मजबूर थे हम---हालात-ए-मुहबबत मे यू ही जुदा रही

तेरी मेरी किसमत की राहे-सजा----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...