Wednesday 31 January 2018

उस नूर का क्या कहना,जो तेरे चेहरे पे बिखरा है ---- उस अदा को क्या नाम दू,जिस ने मेरे दिल का चैन

लूटा है----उन हसीं वादियों को क्या कह कर पुकारू,जिस मे तेरे जिस्म का वज़ूद महकता है----नैनो की

भाषा कैसे पढ़ पाऊ,देख कर मुझे तेरी पलकों ने इन का शामियाना जो झुकाया है----दिल की धडकने

सुनने की ताकत तो है मुझे मे,पर मेरे दिल ने बरसो हुए तेरे ही दिल को तुझ से चुराया है----

Tuesday 30 January 2018

नियामतों का खज़ाना देने वाले...मेरे परवरदिगार तेरा शुक्रिया करते है----दुखो का साथ भले साथ

चले,मगर तेरे रहम साथ साथ रहते  है-----आँखों मे आंसू बहते है मगर,तेरे दर पे यह शीश फिर भी

झुकाते है----हर आंसू से तेरे चरण धो कर,हम तुझी को मन से नमन करते है---इंसा है एक मामूली

से,पर बचपन मे सिखाई गुरु की बात याद रखते है---दुखो का रेला कितना भी बहे,हर सुबह मेरे

परवरदिगार तुझे हर बात के लिए शुक्रिया ही शुक्रिया करते है------

Sunday 28 January 2018

दुआओँ का एक बहुत बड़ा हिस्सा सब को दे कर...हम खुद की ज़िंदगी मे मशगूल हो गए....सीधा सादा

सा यह मन,दुनिया के छल-कपट से दूर....खुदा की इबादत मे समर्पित हो गए...इल्जामो के घेरो मे घिरे

रफ्ता रफ्ता सभी से बहुत दूर हो गए....सवाल क्या जवाब क्या,हर चीज़ से दूर हो गए....सकून से जीने

के लिए अल्लाह की मेहरबानियों पे निर्भर हो गए....उस के सिवाय सारी दुनिया को बस भूलते चले गए ..

Saturday 27 January 2018

हवाओ का यह कैसा रुख बदला है----दूर दूर तक इन हवाओ मे ना जाने कैसा पहरा है----इतनी ख़ामोशी

है कि हर आहट सुनाई देती है---बगीचे मे भी फूलो मे एक अजीब सी नरमाई है----ओस की बूंदो की तरह

यह फ़िज़ा महकी महकी और शरमाई सी है-----चाँद को छू ले या इन्ही हवाओ मे गुम हो जाए,तुझे ढूंढे

या दुल्हन के लिबास मे तेरा इंतज़ार करे---तेरे आने की सदा है,तभी तो इन हवाओ ने रुख बदला है----

Thursday 25 January 2018

किस्मत की लकीरो मे एक लकीर ऐसी भी मिली,जो तुझ से तुझ को ही चुराने आई है --- आँखों के

शामियाने मे एक नज़र ऐसी भी है,जो तेरी नींद तुझ से ही चुराने आई है--- लब जो खुलने को हुए

तेरा नाम पुकारने के लिए,यह तुझी से इज़ाज़त लेने आई है----दुनिया ना देखे तुझे मुझे एक साथ कही

इन जुल्फों ने एक रेशमी चादर हम दोनों पे सजाई है---बरस गई गलती से घटा कोई,कुदरत की खुदाई

दुआ देने चली आई है-----
मीलो का सफर तय कर के,पहुंचे जो उस तक---एक गहरी थकान से भरे नज़दीक जो पहुंचे उस तक---

मन मे थे हज़ारो सवाल,सपनो से सज़ रहा था मेरा संसार----दुनिया भी छोड़ आए है उस के लिए,खुद

को भी भूल रहे है सिर्फ उसी के लिए----ख्याल जो मन की उथल-पुथल मे मशगूल थे----आशियाने मे

अभी धरा ही पाँव था कि वो तो किसी और की बाहो मे महफूज़ थे--तड़प कर हम रह गए ,पलकों के

किनारो मे आंसू छिपा लिए---वो कदम जिन मे अब तक ताकत थी,अपनी बर्बादी पे बिलख कर रह गए---

Wednesday 24 January 2018

हमारी नज़मे हमीं को आदाब कर के,दोस्ती का रुतबा ऊँचा कर दिया----हर लफ्ज़ को अपने लफ्ज़ो मे

ढाल कर,एक रिश्ता सा कायम कर दिया---साफ़ उज्जवल सा वो मन,कुरान की जैसे सारी आयतें पढ़

गया---एक धुंधला सा चेहरा आईने की तरह,जैसे साफ़ सुथरा हो गया---यकीं का दामन और सुबह की

धुप जैसी चमक लिए,जैसे बरसो का नाता बनाता गया----गुजारिश करे या दुआओ मे शामिल करे ..

उस ने हमारा सर फक्र से ऊँचा कर दिया----
साँसे ही तो ज़िंदगी की कहानी बयां करती है----साँसे ही तो धडकनों की उम्र बताया करती है----चाहत

मे जो रुक रुक के थमने लगे,वो मक़ाम भी साँसे दिया करती है----मेहबूब की बाहों मे जो लावे की तरह

बहने लगे,वो गरम नाज़ुक सी हवा साँसे ही हुआ करती है----आँखों मे जो अंगारे बरसने को हो,वो धुआँ

साँसे ही बिखेरा करती है----एक सीमा से बाहर जब यह चलती रहे,मौत की आहट यक़ीनन यही साँसे

दिया करती है---

Tuesday 23 January 2018

नज़र का धोखा कहे या परेशानी इस नज़र की----हर ज़र्रे मे अक्स तेरा ही दिखता है----खुद ही खुद

तन्हाई मे अपनी परेशानी पे हॅसते है---गौर से सोचे तो प्यार की इंतिहा लगती है---खुदा की दी कोई

नियामत लगती है----खुद को जब जब देखते है आईने मे,तेरे चेहरे की ही झलक दिखती है ----मौसम

की इस बरसात की हर बूंद मे,पानी मे भी तेरी ही छवि मुस्कुराती लगती है-----
रिश्तो की परिभाषा लिखने के लिए,यह कलम जब भी उठाते है---एक सिर्फ तेरे ही नाम के सिवा हर

रिश्ते को भुला जाते है----प्यार देते रहे हर उस इंसा को,जो मेरे वज़ूद से जुड़ा रहा----उस प्यार मे

सिर्फ और सिर्फ देने का जज़्बा बना रहा----दौलत शोहरत पाने के लिए,कुछ रिश्तो ने मुझ को अपमान

दिया---मेरे वज़ूद को ठुकराया और खुद को ज़माने मे पाक साफ़ नाम दिया---टूटे तो फिर इतना टूटे कि

रिश्तो को सिरे से नकार दिया----खुद की राहें ढूंढी और इस दिल से जज्बातो को अलविदा कहा----आज

जाना कि ख़ुशी होती है क्या---सकूँ से जीने के लिए तेरा नाम ही नाम,बस याद रहा-----

Sunday 21 January 2018

ज़िंदगी की खूबसूरती को प्यार करने के लिए,तेरा नाम जरुरी है-----तेरे नक़्शे-कदम पे चलने के लिए

उन तमाम वादों को निभाना भी जरुरी है----तेरे दिल ने मेरे दिल को छुआ,इस का एहसास समझना

हम दोनों के लिए कितना जरुरी है----समाज के दायरों को भुलाना और फिर बिंदास जीना,खुद की

ख़ुशी के लिए निहायत जरुरी है----पलके ना भीगे कभी,चमक आँखों मे प्यार की रहे यू ही---आ गले

लग जा कि इस रंगीन सुबह को सलाम बजाना भी तो जरुरी है ------
दूर बहुत दूर...जहां आसमां ख़त्म  हो जाए गा----धरती की वो तह...जहां उस का वज़ूद रुक जाए गा ----

इंसानी फितरत की वो हवा...जहां मुहब्बत का नाम रौंदा जाए गा-----तुझ तक पहुंचने के लिए इन सब

को हर हाल मे पार किया जाए गा-----जिस्म को तो एक दिन इसी मिट्टी मे मिल जाना है----रूह को

तुझ तक आने के लिए,इन सभी को पार कर जाना है---किरदार बदल जाया करते है,पर सवाल रूह पे

कौन उठाए गा----मुहब्बत को पाने के लिए इसी रूह का नाम ज़न्नत मे भी पूजा जाए गा -----

Friday 19 January 2018

ना कर शर्मिंदा मुझे दे कर दुलार इतना,ज़माना तकलीफ मे आ जाए गा---ना उठा नाज़ मेरे हसीन

नखरो के,मेरा बचपना लौट ना पाए गा----मेरी नींद के हसीन सपनो को अपनी ख़ामोशी का रंग दे

कर,इतना गुमान मुझ पे ना कर..तेरा दिल मुझी को सोचने पे मज़बूर हो जाए गा---शाखाओ से टूट

कर फूल फिर खिला नहीं करते,ना दुलार मुझ से इतना बड़ा कि मेरे खामोश होने से यक़ीनन तू बिखर

जाए गा -----

Thursday 18 January 2018

बहुत सर्द हवाओ का मौसम है,कंपन से रुक रही है साँसे मेरी----तुम कहती हो जल्द चले आओ,कि

खौफ आता है इस सर्दनुमा मौसम से----कोहरे की गहरी चादर है, और रात है कि स्याही को बिखराए

है----एक आवाज़ उभर कर आई तेरी कानो मे मेरे,मेरे पास आने के लिए इतनी मोहताजी क्यों----चलते

चलो..चलते चलो....जहा तक मेरी गर्म सांसो की गर्म हवा आती है----ना अब रुके गी कंपन से यह सांसे

तेरी,मेरे गेसुओं ने  रोक ली है इन हवाओ की सर्दी------

Wednesday 17 January 2018

तू कहानी तो नहीं ज़िंदगी की मेरी...मगर एक किरदार है नायाब सा-----खुशिया देती है दस्तक जब

जब ज़िंदगी मे मेरी,दिल के कोने मे आवाज़ होती है तेरी---दर्द बन कर कोई दगा देता है,एक ओस

की परछाई साथ तेरी होती है मेरे----कहते कहते रुक जाऊ जो कभी,लफ्ज़ो को पूरा करती है दूर से

कही आवाज़ तेरी----करिश्मे होते है,यह सुना है मैंने..मगर रूह के दायरे मे भी कोई छुप सकता है

यह अब जाना मैंने---यक़ीनन..एक किरदार नायाब सा तू है ज़िंदगी मे मेरी------
तलाशते रहे जिस मे खुद के वज़ूद को,वो यह कह कर हम से किनारा कर गए----तू मेरी आरज़ू नहीं

ना मेरे दिल का करार है --- हसरते तुझे देख कर दम तोड़ देती है,तेरे साथ मेरी ज़िंदगी की कोई ख़ुशी

कोई इकरार भी नहीं----तपती रेत की तरह बस झुलस कर रह गए हम---आँखों के समंदर मे खुद को

फना कर गए हम---यह कौन सा मक़ाम है,जो जल कर भी रोशन ना हो सकी..यह ज़िंदगी की कौन सी

शाम है----वो तो किनारा कर गए,हम मगर आज भी टूटे हुए दिल की कोई बेबस आस है-----

Sunday 14 January 2018

वो फरिश्ता तो नहीं था,मगर मेरे लिए किसी फरिश्ते से कम ना था----यह जानते हुए कि चंद सिक्के

ही पास है मेरे,मेरी गरीबी को किसी शहंशाह की तरह माना उस ने----गुजर करने के लिए किसी और

की मोहताज़ हू,यह जान भी गले अपने से लगाया फिर भी उस ने----मेरी दी हर छोटी भेंट को,प्यार के

तराज़ू मे तोला उस ने और मन्नत मान कर सर से लगा लिया उस ने ----छलक गए कभी जो आंसू

मेरी इन आँखों से,हथेली अपनी पे ले कर आशीषो की झड़ी लगा दी मुझ पे---अब क्यों ना कहु कि

फरिश्ता हो तुम,कि सकूँ से जीने की वजह मुझे दें दी उस ने----

Friday 12 January 2018

शायरी तो बस शायरी है,मेरे इन पन्नो पे भरी---मेरे लफ्ज़ो की अदायगी को ना समझे कोई ,मेरे

इकरार की लड़ी----दिलों को जो दर्द से भर दे,है इन मे कही जादू की छड़ी---कभी यु ही रुला दे,सोचिये

है कितनी ताकत इन लफ्ज़ो मे भरी----मुहब्बत के नाम से बस दिल को हौले से सहला दे,कितनी

हसीं ज़िंदगी है इस के साथ जुड़ी----कितना शुक्राना कहू,कितना आदाब करू---बस मेरे लफ्ज़ो से

सजी है मेरे इन्ही पन्नो की शायरी-----

Tuesday 9 January 2018

ना कर गुस्ताखियाँ मेरी मासूम रूह से,यह हर जनम तेरे साथ जीने को मचल जाए गी----तेरी ही रूह

पे कब्ज़ा किए,तेरे जिस्म मे ही मिल जाए गी----अंदाज़ा है तुझे तेरी रूह से कितने करीब से वाकिफ

है-----हवा का रुख बदल जाए,ज़मी आसमां बेशक बदल जाए,एक डोर तुझ से जुड़ी,एक लगन तुझ से

लगी...तार तार होती हुई यह रूह तुझे कही भी ढूंढ पाए गी-----पलकों के आशियाने मे,लबो के सुर्ख

इशारो मे,समझो इशारा आँखों का अभी इसी जनम मे--कि यह रूह तो हर जनम तेरे साथ को मचल

जाए गी------

Monday 8 January 2018

नज़र तेरे चेहरे से क्यों हटती ही नहीं---यह कौन सा नूर है कि रौशनी चाँद की भी इस के आगे ठहरती

नहीं---आंखे है कि मय के प्याले है,डूब जाए गर तो बाहर आने की कोई हस्ती ही नहीं---ना कर अब

मदहोश इन गेसुओं को खोल कर,कि बेमौत मरने की अभी कोई मर्ज़ी ही नहीं-----बस...अब यू ना

खिलखिला कर इतना हसो,कि तुम्हे बाहों मे भरने के लिए...खुदा की भी इज़ाज़त जरुरी ही नहीं----

Saturday 6 January 2018

कभी रुक दिए तो कभी चल दिए---कभी वफ़ा के नाम पे हज़ारो सलाम कुर्बान कर गए---खामोश

हुए तो बस लब ही सिल लिए----मुस्कुरा दिए जब तो हज़ारो दीए झिलमिला दिए----और दर्द दिए

तो अंदर तक ज़ार ज़ार रुला गए----इतनी इंतिहा है हर अदा की,तो भी यक़ीनन दिल हमारे मे

मुहब्बत जगा गए---- आदाब करे या तेरे सज़दे मे झुक जाए,ज़िंदगी के नाम पे सांसे अपनी लुटा कर

वो खामोश क्यों हो गए---

Tuesday 2 January 2018

अगर कभी बिछुड़ गए तो मिले गे ज़न्नत मे....हर जन्म चाहा है तुझे,हर जन्म ही चाहे गे---तू अगर

दुनिया है मेरी,तो तेरे लिए इस दुनिया को भी छोड़ जाए गे--आज भी याद आते है तेरे कहे यह अल्फ़ाज़

तो रूह मेरी काँप जाती है---चेहरे की मासूमियत मे तेरे इस रूप का अंदाज़ कहा था मुझे---बेवफाई का

सदमा देने वाले,ज़न्नत तो नहीं पर जीवन के किसी मोड़ पे जो मिल जाओ गे तो पूछे गे जरूर....रास्तो

पे साथ चलने के वादे करने वाले दर्द मुझे दे कर ज़न्नत मे क्या जा पाओ गे -----

Monday 1 January 2018

ना करना कभी गिला साथ तेरा छोड़ जाए गे---अपनी ही शर्तो पे जीने के लिए,दुनिया से भी टक्कर

लेते जाए गे---आंसू बहाना कब से छोड़ दिया,मुस्कुराने की वजाहे ढूंढ़ना सीख लिया---दर्द के एहसास

से भी अब खुद को एहसास दिलाना छोड़ दिया---खुशियाँ होती है क्या...हर नन्हे सवालात मे,हर मोड़

पे मिले हर हालात मे....दिल का सकूँ ढूंढ लिया----तेरी सदियों की दुल्हन ने,तेरे दिए प्यार की ज़न्नत

मे अब खुद मे जीना सीख लिया---
दिन बदले,तारीखे  बदली और कितने ही बरस बीत गए---जुड़ी रही कितनी यादे,कुछ रुला गई..कुछ

हसा गई और कुछ.... दिल के आईने मे अंदर तक समा गई---कुछ रूमानी पलों का साथ,कुछ महके

एहसासो का एहसास....आंखे बंद करे तो लगता है तेरी बाहो के घेरे मे,लाज से भाग जाने को है तैयार

बस--उन्ही लम्हो मे जीते है....नहीं तो यह दुनिया आज भी हर जगह मात देने  को है तैयार---नूर लिए

चेहरे पे,सालो को चुनौती देते जाये गे---तेरे नाम के साथ यह ज़िंदगी बिंदास जीते जाये गे----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...