Tuesday, 23 January 2018

नज़र का धोखा कहे या परेशानी इस नज़र की----हर ज़र्रे मे अक्स तेरा ही दिखता है----खुद ही खुद

तन्हाई मे अपनी परेशानी पे हॅसते है---गौर से सोचे तो प्यार की इंतिहा लगती है---खुदा की दी कोई

नियामत लगती है----खुद को जब जब देखते है आईने मे,तेरे चेहरे की ही झलक दिखती है ----मौसम

की इस बरसात की हर बूंद मे,पानी मे भी तेरी ही छवि मुस्कुराती लगती है-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...