Sunday 21 January 2018

दूर बहुत दूर...जहां आसमां ख़त्म  हो जाए गा----धरती की वो तह...जहां उस का वज़ूद रुक जाए गा ----

इंसानी फितरत की वो हवा...जहां मुहब्बत का नाम रौंदा जाए गा-----तुझ तक पहुंचने के लिए इन सब

को हर हाल मे पार किया जाए गा-----जिस्म को तो एक दिन इसी मिट्टी मे मिल जाना है----रूह को

तुझ तक आने के लिए,इन सभी को पार कर जाना है---किरदार बदल जाया करते है,पर सवाल रूह पे

कौन उठाए गा----मुहब्बत को पाने के लिए इसी रूह का नाम ज़न्नत मे भी पूजा जाए गा -----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...