Tuesday 30 January 2018

नियामतों का खज़ाना देने वाले...मेरे परवरदिगार तेरा शुक्रिया करते है----दुखो का साथ भले साथ

चले,मगर तेरे रहम साथ साथ रहते  है-----आँखों मे आंसू बहते है मगर,तेरे दर पे यह शीश फिर भी

झुकाते है----हर आंसू से तेरे चरण धो कर,हम तुझी को मन से नमन करते है---इंसा है एक मामूली

से,पर बचपन मे सिखाई गुरु की बात याद रखते है---दुखो का रेला कितना भी बहे,हर सुबह मेरे

परवरदिगार तुझे हर बात के लिए शुक्रिया ही शुक्रिया करते है------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...