Thursday 25 January 2018

मीलो का सफर तय कर के,पहुंचे जो उस तक---एक गहरी थकान से भरे नज़दीक जो पहुंचे उस तक---

मन मे थे हज़ारो सवाल,सपनो से सज़ रहा था मेरा संसार----दुनिया भी छोड़ आए है उस के लिए,खुद

को भी भूल रहे है सिर्फ उसी के लिए----ख्याल जो मन की उथल-पुथल मे मशगूल थे----आशियाने मे

अभी धरा ही पाँव था कि वो तो किसी और की बाहो मे महफूज़ थे--तड़प कर हम रह गए ,पलकों के

किनारो मे आंसू छिपा लिए---वो कदम जिन मे अब तक ताकत थी,अपनी बर्बादी पे बिलख कर रह गए---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...