वो फरिश्ता तो नहीं था,मगर मेरे लिए किसी फरिश्ते से कम ना था----यह जानते हुए कि चंद सिक्के
ही पास है मेरे,मेरी गरीबी को किसी शहंशाह की तरह माना उस ने----गुजर करने के लिए किसी और
की मोहताज़ हू,यह जान भी गले अपने से लगाया फिर भी उस ने----मेरी दी हर छोटी भेंट को,प्यार के
तराज़ू मे तोला उस ने और मन्नत मान कर सर से लगा लिया उस ने ----छलक गए कभी जो आंसू
मेरी इन आँखों से,हथेली अपनी पे ले कर आशीषो की झड़ी लगा दी मुझ पे---अब क्यों ना कहु कि
फरिश्ता हो तुम,कि सकूँ से जीने की वजह मुझे दें दी उस ने----
ही पास है मेरे,मेरी गरीबी को किसी शहंशाह की तरह माना उस ने----गुजर करने के लिए किसी और
की मोहताज़ हू,यह जान भी गले अपने से लगाया फिर भी उस ने----मेरी दी हर छोटी भेंट को,प्यार के
तराज़ू मे तोला उस ने और मन्नत मान कर सर से लगा लिया उस ने ----छलक गए कभी जो आंसू
मेरी इन आँखों से,हथेली अपनी पे ले कर आशीषो की झड़ी लगा दी मुझ पे---अब क्यों ना कहु कि
फरिश्ता हो तुम,कि सकूँ से जीने की वजह मुझे दें दी उस ने----