हवाओ का यह कैसा रुख बदला है----दूर दूर तक इन हवाओ मे ना जाने कैसा पहरा है----इतनी ख़ामोशी
है कि हर आहट सुनाई देती है---बगीचे मे भी फूलो मे एक अजीब सी नरमाई है----ओस की बूंदो की तरह
यह फ़िज़ा महकी महकी और शरमाई सी है-----चाँद को छू ले या इन्ही हवाओ मे गुम हो जाए,तुझे ढूंढे
या दुल्हन के लिबास मे तेरा इंतज़ार करे---तेरे आने की सदा है,तभी तो इन हवाओ ने रुख बदला है----
है कि हर आहट सुनाई देती है---बगीचे मे भी फूलो मे एक अजीब सी नरमाई है----ओस की बूंदो की तरह
यह फ़िज़ा महकी महकी और शरमाई सी है-----चाँद को छू ले या इन्ही हवाओ मे गुम हो जाए,तुझे ढूंढे
या दुल्हन के लिबास मे तेरा इंतज़ार करे---तेरे आने की सदा है,तभी तो इन हवाओ ने रुख बदला है----