Thursday 25 January 2018

किस्मत की लकीरो मे एक लकीर ऐसी भी मिली,जो तुझ से तुझ को ही चुराने आई है --- आँखों के

शामियाने मे एक नज़र ऐसी भी है,जो तेरी नींद तुझ से ही चुराने आई है--- लब जो खुलने को हुए

तेरा नाम पुकारने के लिए,यह तुझी से इज़ाज़त लेने आई है----दुनिया ना देखे तुझे मुझे एक साथ कही

इन जुल्फों ने एक रेशमी चादर हम दोनों पे सजाई है---बरस गई गलती से घटा कोई,कुदरत की खुदाई

दुआ देने चली आई है-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...