Saturday 29 November 2014

जहाॅ धोखा मिला अपनो से,फरेब दिखा लाखो मे..ना सोचा ना जाना,बस खुदा का

दामन थाम लिया..दौलत के तराजू मे,रूतबे के हिसाबो मे,जब तोले जाते है रिशते..तो

अकसर इनसानो का चेहऱा देखना भूल जाते है लोग..यह दुनियाॅ है उन इनसानो की..

जहाॅ कागज के टुकडो मे बिक जाते है लोग..खुदा से बाते करते है तो कहते है..तेरी

दुनियाॅ मे इनसाॅ तो बहुत है..पर तेरी सचचाई कितनो मे है..............
जिनदगी गुजरती रही और हम इनतजाऱ करते रहे..वकत चलता रहा और हम उस के

आने की घडियाॅ गिनते रहे..कया वजूद है मेरा उस के बिना,इसी कशमकश मे जवानी

अपनी बरबाद करते रहे..आज मोड पे है जीवन के उस पहलू मे,जहाॅ इनतजार आज भी

है....पर अब उस का नही..साॅसे खतम कब होगी..यह सवाल खुद से करते है...

Thursday 27 November 2014

 दौलत रूतबा जेवरात,इन से सजाई थी तुम ने दुनियाॅ मेरी..जहाॅ जहाॅ कदम रखे मैने

वहा वहा फूलो की बारिश कर दी तुम ने..वो सपना था या हकीकत गहरी,यह तो मै जान

नही पाई...पर जान लिया इतना कि कही मुहबबत नही मिली मुझ को तुम से..आज

दौलत के उस महल मे रहती हूॅ,जहाॅ हर पल निगाहे बस तुमही को ढूढती है..

Tuesday 25 November 2014

आप दासताॅ सुना रहे थे हमे अपनी,और हम भरी निगाहो से आप को निहारते रहे..

अशक निकले जब छोड कर दामन इन आॅखो का,तो आप की दुआओ ने उनहे थाम

लिया..कसूर आप की दासताॅ का था या फिर हमारे अशको का,नही जानते..बस जानते

है इतना कि आप मुहबबत का वो मकाम है,जहाॅ आने के लिए सजदे किए है हम ने

सदियो से...

Monday 24 November 2014

वो शाम थी एक पयारी सी,जो दिल को छू गई वो मुुहबबत थी या खुमाऱी थी..हम ने

अकसऱ लोगो को मुहबबत मे बरबाद होते देखा  है,कभी खुद को तो कभी दूजे को खफा

होते देखा है..मुहबबत इक नाम नही हासिल कर पाने का,यह तो जनून है अपने पयार

के लिए..खुदा से दुआए करने का..वो खुश रहे अपने जहान मे,ऐसा फऱमान खुदा के

सामने पडते देखा है...

Saturday 22 November 2014

पायल बज उठी तेरे आने से,चूडियाॅ खनक गई तेरे पास आने से..खुशबू बिखर रही है,

फिजाओ मे..चहचहाने लगे परिनदे इन खामोश हवाओ मे..यह गुलिसता है तेरे पयार

का,मेरी नजरे जब मिली तेरी नजऱो से...इबादत मे झुक गए हम,तुझे पाने के खयाल

से....ओ
हम ने तुमहे,ना किसी रिशते से बाॅधा ना किसी वादे से..तुम जिओ अपनी मरजी से,बस

आजाद कर दिया सारे नातो से..पयार किसी बधॅन का मोहताज नही,जबरदसती साथ

जीने का नाम भी नही..कयो रहो तनहाॅ तुम,यह जिनदगी यह साॅसे तो कब से तुमहारे

नाम कर चुके..जानते है इतना,गर ताकत होगी हमारी पाक मुहबबत मे..तो हमारी

साॅसे टूटने से पहले तुम हमारे पास लौट आओ गे...

Thursday 20 November 2014

तुम पयार कर ना सके,हम पयार पा ना सके..वादो की दुनियाॅ बसाते रहे,पर वादा एक

भी निभा ना सके..मिसाल देते रहे मुकममल मुहबबत की,पर मुहबबत कभी कर ना

सके..टूट टूट कर इतना टूटे कि जिनदगी को जीना भूल गए..यादे है इतनी,कि उनहे

साथ रखने के लिए..इन साॅसो को चलाना ही भूल गए..

Tuesday 18 November 2014

तूफाॅ बता कर नही आते,उन की तबाही ही आने को बयाॅ करती है..बिखर जाते है कितने

 आरमाॅ,बिखरने के बाद ही जुबाॅ दे पाते है..तनहाॅ हो जाती है जिनदगीयाॅ कितनी,यह

तो जीने वाले ही जान पाते है..तडपते रहते है इनसाॅ कितने,यह जो तडप रहे है वो ही

जान पाते है...
वकत गुजरता रहा और यह जिनदगी चलती रही...कभी खामोश रही तो कभी पयार

को तरसती रही..कभी वादे मिले तो कभी धोखे..कही मिला आसमाॅ की बुलनदियो को

छूने का खवाब..तो कही दौलत की चकाचौध मे बसाने का वो ऱाज...आज जी रहे है तो

बस अपनी ताकत मे..जहाॅ खुदा दे रहा है आवाज..हमे इन सब से दूर..सिरफ उस की ही

पनाहो मे...

Friday 14 November 2014

जिनदगी ने हॅस कर पूछा मुझ से....कया खफा हो मुझ से..कभी कुछ कहा नही मुझ

से..कुछ शिकायत है मुझ से...........मुसकुराए हम,सोचा कि कया बोले.....बस धीमे

सेे कहा........तुझ से नाराज नही जिनदगी....बहुत खुश हूॅ...तुम ने जो दिया,जितना

दिया.....उसी को पा कर बहुत सनतुषट हूॅ......
खामोशी ने दासताॅ मेरी बयाॅ कर दी,कभी खुशी तो कभी गम,यह इनतहाॅ भी बयाॅ कर

दी...छिपाए जजबात कई सालो से,वकत मिला तो हौले से मुहबबत हमारेे नाम कर दी..

अकसर दरद छिप जाते है खामोशी मे,वकत गर अलफाज दे जाए इस को...मुहबबत

बयाॅ कर जाती है इनतहाॅ अपनी...

Thursday 13 November 2014

हवाओ ने खबर दी है तेरे आने की..फिजाओ मे महक है तेरे आने की...फूलो ने खुशबू

बिखेरी हैै आसमाॅ तक,कलियाॅ इनतजार मे है तुझे पाने की.....पर मेरी रूह ने कब से

पहचान ली है आहट तेरे आने की...तुझे मिलने के लिए ना जरूरत है मुझे,सजने की

सॅवरने की...सदियो का रिशता है,तू जानता है कीमत इसे निभाने की....

Wednesday 12 November 2014

सुनदर सपनो का सॅसार सब की राहो मे हो,कुछ माॅॅगने से पहले..मननत बाहो मे हो...

रूखसत सभी हो जाए गे इस दुनियाॅ से बारी बारी,ना रहे गे रिशते उन से,जिन पे आज

है वारी वारी...जिनदगी बहुत कुछ देती है,पर बहुत कुछ छीन भी लेती है...तकदीरो के

फैसले आप सब के हक मे हो,यह दुआ दोसती के चलते आप सभी को हो...शुभ रात्री.....
जुबाॅ खामोश थी,पर इन नैनो ने सब कह दिया..तुम जो मुसकुराए,पलकेे भीगी और

यह नैना बह गए...फिर उठे कई हाथ दुआऔ के लिए,मननते हुई पूरी और जीवन सॅवर

गया...जीवन की राहो मे आते रहे कितने मकाम...जुबाॅ तब भी खामोश थी...पर नैनो

ने दामन नही छोडा...हमेशा मुसकुराते रहे.....

Monday 10 November 2014

कोई गरीब भूखा इनसान जब हमारे सामने हाथ फैलाताा है,तो मन दरद से भर जाता

है..पर जब हम उस को भर पेट खाना खिलाते है,उस केे बाद जो चमक उस की आॅॅखो मे

होती है...बस उसी मे हमे रब..खुदा..भगवान् सब दिख जाते है...बस एक कदम इनही

रब के बनदो की और बडा दीजिए.....एक खुशनुमा सुबह आप सब के लिए.....

Saturday 8 November 2014

हाथ जुड गए मेरे,इबादत मे ऐ मेरे खुदा...जो दिया है तुम ने,वो मेरी उममीद से कही

जयादा है मेरे खुदा....हसरतो का तो कोई अनत नही होता,आज गाडी है तो कल बॅगले

का खवाब होगा..तेरे सजदे मे यह सर झुक गाया मेरे खुदा.....अब यह जान भी तू माॅग

ले..ना करू गा इनकार ऐ मेरे खुदा....

Thursday 6 November 2014

आसमाॅ से तारे तोड लाए गे,तेरे कदमो मे सारे जहाॅ की खुशियाॅ बिछा दे गे...हम हॅस

दिए थे तब तेरी आसमानी रूमानी बातो पे,ना कोई लाया आज तक सितारे आसमानो

से,ना खुशियो का भरपूर खजाना जुटा पाया...रिशतो की यह दुनियाॅ हकीकत से चलती

है,दौलत से नही-सोने चाॅदी के सिकको से भी नही...दिलो के तार मिलनेे से चलती है....

Wednesday 5 November 2014

हर सुबह हमेशा खुुशी का पैगाम ही ले कर आए..ऐसा होता तो नही..पर हर सुबह उदासी

लाए,ऐसा भी होता नही...खुशी हो या गम,यह दोनो तो जिनदगी के पहलू है..खुशी मिले

तो आसमाॅ मे उडना नही,गम आए तो रो कर थकना नही..कयो कि जिनदगी सिरफ

जीने का जिनदा दिल नाम है...नई सुबह की नई किरण आप सब के लिए शुभ हो...

Tuesday 4 November 2014

तुझे खोने के बरसो बाद,यह जाना कि आज हम इस जिनदगी से ही बेगाने हो गए है...

हर धरम निभाने के बाद,यह जाना कि इसी जिनदगी से ही दूर हो गए है...वो तेरे दूर

जाने का गम,तेरे करीब होने का एहसास दिलाता है...मिले गे जननत मे,उस बात को

याद कर के तुझ से मुलाकात होने का एहसास दिलाता है..इस से परे इक दुनियाॅ और

भी है,यह सोच कर यह मन गुनगुनाने लगता है.....

Sunday 2 November 2014

तनहाॅॅ होते है जब भी,यह सोचते है अकसर...कितने ही इलजामो से घिरा है जीवन

अपना...ना बना पाए किसी को अपना,ना किसी के जीवन मे उतर पाए बन के अपना...

गुलामी करते या खुद का वजूद ही मिटा देते,तो सुनहरा जीवन जीते..पर उसूलो को ना

तोड पाए ना वजूद अपना मिटा पाए..हाॅ खुद को तनहाई से दूर रखते है..अपने आप मे

जी कर खुशी और सकून के पल जीते है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...