दुआओँ का एक बहुत बड़ा हिस्सा सब को दे कर...हम खुद की ज़िंदगी मे मशगूल हो गए....सीधा सादा
सा यह मन,दुनिया के छल-कपट से दूर....खुदा की इबादत मे समर्पित हो गए...इल्जामो के घेरो मे घिरे
रफ्ता रफ्ता सभी से बहुत दूर हो गए....सवाल क्या जवाब क्या,हर चीज़ से दूर हो गए....सकून से जीने
के लिए अल्लाह की मेहरबानियों पे निर्भर हो गए....उस के सिवाय सारी दुनिया को बस भूलते चले गए ..
सा यह मन,दुनिया के छल-कपट से दूर....खुदा की इबादत मे समर्पित हो गए...इल्जामो के घेरो मे घिरे
रफ्ता रफ्ता सभी से बहुत दूर हो गए....सवाल क्या जवाब क्या,हर चीज़ से दूर हो गए....सकून से जीने
के लिए अल्लाह की मेहरबानियों पे निर्भर हो गए....उस के सिवाय सारी दुनिया को बस भूलते चले गए ..