हमारी नज़मे हमीं को आदाब कर के,दोस्ती का रुतबा ऊँचा कर दिया----हर लफ्ज़ को अपने लफ्ज़ो मे
ढाल कर,एक रिश्ता सा कायम कर दिया---साफ़ उज्जवल सा वो मन,कुरान की जैसे सारी आयतें पढ़
गया---एक धुंधला सा चेहरा आईने की तरह,जैसे साफ़ सुथरा हो गया---यकीं का दामन और सुबह की
धुप जैसी चमक लिए,जैसे बरसो का नाता बनाता गया----गुजारिश करे या दुआओ मे शामिल करे ..
उस ने हमारा सर फक्र से ऊँचा कर दिया----
ढाल कर,एक रिश्ता सा कायम कर दिया---साफ़ उज्जवल सा वो मन,कुरान की जैसे सारी आयतें पढ़
गया---एक धुंधला सा चेहरा आईने की तरह,जैसे साफ़ सुथरा हो गया---यकीं का दामन और सुबह की
धुप जैसी चमक लिए,जैसे बरसो का नाता बनाता गया----गुजारिश करे या दुआओ मे शामिल करे ..
उस ने हमारा सर फक्र से ऊँचा कर दिया----