Wednesday 24 January 2018

हमारी नज़मे हमीं को आदाब कर के,दोस्ती का रुतबा ऊँचा कर दिया----हर लफ्ज़ को अपने लफ्ज़ो मे

ढाल कर,एक रिश्ता सा कायम कर दिया---साफ़ उज्जवल सा वो मन,कुरान की जैसे सारी आयतें पढ़

गया---एक धुंधला सा चेहरा आईने की तरह,जैसे साफ़ सुथरा हो गया---यकीं का दामन और सुबह की

धुप जैसी चमक लिए,जैसे बरसो का नाता बनाता गया----गुजारिश करे या दुआओ मे शामिल करे ..

उस ने हमारा सर फक्र से ऊँचा कर दिया----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...