टिम टिम करते सितारों से अक्सर सवाल पूछा करते है..इतने बड़े आसमान मे अपने साथी को कैसे ढूंढ
लेते है....हो दिन का उजाला या रात का वो अँधेरा,बिखरे तो सभी इसी आसमान मे है...जवाब सुना तो
पाया,भाषा इन की हम जैसी ही है ...दूर दराज़ रहे बेशक महक तो सब की अलग ही है...जो महक रूह
को छू ले,वही साथी मेरा है..बात बात पे जो उलझे मुझ से,मुहब्बत का तो उसी पे पहरा है...
लेते है....हो दिन का उजाला या रात का वो अँधेरा,बिखरे तो सभी इसी आसमान मे है...जवाब सुना तो
पाया,भाषा इन की हम जैसी ही है ...दूर दराज़ रहे बेशक महक तो सब की अलग ही है...जो महक रूह
को छू ले,वही साथी मेरा है..बात बात पे जो उलझे मुझ से,मुहब्बत का तो उसी पे पहरा है...