Saturday 10 August 2019

टिम टिम करते सितारों से अक्सर सवाल पूछा करते है..इतने बड़े आसमान मे अपने साथी को कैसे ढूंढ

लेते है....हो दिन का उजाला या रात का वो अँधेरा,बिखरे तो सभी इसी आसमान मे है...जवाब सुना तो

पाया,भाषा इन की हम जैसी ही है ...दूर दराज़ रहे बेशक महक तो सब की अलग ही है...जो महक रूह

को छू ले,वही साथी मेरा है..बात बात पे जो उलझे मुझ से,मुहब्बत का तो उसी पे पहरा है...

खूबसूरत रंगो से भरे,ना जाने कितने फूल बिछा दिए उन की राहो मे..नज़र ना लगे कभी ज़माने की

दिन के उजाले भी उन के लिए गवां दिए..अफ़सोस इस बात का नहीं,राहो को क्यों सजाया हम ने...वो

देखे हर ख़ुशी,यह सोच कर हम ने अपने वीराने भी खुद मे दबा दिए...दर्द तो इस बात का है,हम आज

भी उन के लिए बेगाने है..बेगाना लफ्ज़ तो शायद कम है हमारे लिए,धूल ही धूल बिछा दी हमारी राहो

मे क्यों और किस लिए...

Friday 9 August 2019

इंतज़ार का यह सिलसिला,कभी कभी रात भर जगाता भी है...आँखों मे नींद कहाँ,करवटें बदल बदल

क्या क्या सोच लेता है...चूड़ियों की खनक दिल को चुभती है,कानो की बाली भी दुश्मन लगती है...

बहुत कुछ पूछे गे उन से,मगर यह रात गुजरे से भी गुजर ना पाती है...सवेरा कभी होगा भी,यह खलल

पागल करने लगता है...रंजिश क्यों ना करे,कायनात से हाथ जोड़ कर सिर्फ तुझे ही तो माँगा है..
शब्दों को सँभालते सँभालते कभी बने कवि तो कभी दिलो के बादशाह बन गए--मुमताज़ किसी ने देखी

हम मे तो कोई मधुबाला का रूप समझ हम को राग सुनाता रहा--हंसी को उतारा कितने दिलो मे हम ने,

फिर भी बहुत उदास चेहरे हम को गमगीन कर गए--चंचल चपल नैना,कभी पलकों को झपकाते तो कभी

दो बून्द आंसू से कितनो को हिला देते---हम सिर्फ मुस्कुराते अच्छे लगते है--यक़ीनन--तब हम जोरों से

हंस दिए---गर हंसी ही हमारा गहना है फिर तो हम दिलो के बादशाह बनने लायक हो ही गए---
बारिश मे जो भीगी चुनरिया तो आँचल ने साथ छोड़ दिया...भीगे जो गेसू ,घबरा कर बादलों ने साजन

को इशारा किया..तेज़ हवा उड़ा ले गई दुपट्टा मलमल का...क्या हुआ ऐसा बार बार बारिश मे भीग जाने

का मन हो गया...चंचल से यह नैना क्यों गुस्ताखी पे उतर आए है..इंतज़ार है अपने उस साजन का,जो

हमे भीगा देखने के लिए बरखा को संदेशा दे आए है...बरखा तो बरखा है,पर साजन हम तो तेरे लिए यू

 ही सदा कुर्बान होते आए है...
चेहरे पे सजी यह दो आंखे..साधारण सा मुखड़ा और दुआ देती यह उठती-गिरती साँसे...कुछ रचे-बसे

संस्कारो के सूंदर धागे...मीठी मुस्कान लिए जीवन का पाठ सिखाते मन के अछूते वादे...किसी को दिया

जीवन का ज्ञान तो कभी अपनी हंसी से लूटा दिलो का विज्ञानं...जितना जाना उतना सब को बाँट दिया..

मामूली इंसान को किसी ने इतना खास कहा,झुके धरा पे बारम्बार...एहसान तले दबे है परवरदिगार ..

एक साधारण इंसा को दुनिया ने दिया बहुत सम्मान...
दीवानगी की हद से परे भी मुहब्बत होती है...कौन कहता है यह मुहब्बत झूठी भी होती है...सच को

गर बार बार छुपाया जाये तो यक़ीनन मुहब्बत बर्बादे-निशाँ होती है...रूहे-ज़मीर साफ़ रहे तो गलतियां 

माफ़ भी होती है...जिस्म के प्यार को कभी रूहे-मुहब्बत नहीं कहते...जो जुड़ा है रूहे-पाक से,वह जिस्म

को मुहब्बत से जोड़ा नहीं करते...जिस्म तो आखिर फ़ना हो ही जाते है..यह रूहे ही है जो सदियों  बाद भी

अपनी रूह को ढूंढ लिया करती है....

Thursday 8 August 2019

 खूबसूरती पे हमारी ना कसीदे पढ़िए जनाब...बरसात और तेज़ हो जाए गी...ना दीजिए कोई खिताब

बादलों के फटने की उम्मीद बढ़ जाए गी..सावन तो वैसे ही राज़ी नहीं रुकने को..ऊपर से माशा-आल्हा

तेरा बोलना बेहिसाब,किस रंजिश को जन्म दे गी...सज़दा कर रहे है तेरे इश्के-हिजाब पे,तुझे कभी

लगे ना किसी की नज़र मेरे ख्याल से..आ छुपा ले तुझे सीने मे,ज़माना ढूंढे से भी ना ढूंढ पाए तुझे...
दो नैनो से कुछ बाते जानी हम ने...क्या गज़ब है इन की कहानी..जुदा जुदा है पर संग संग है...इक दूजे

के प्यार मे गुम है..इक जो रो दे दूजा भी रो दे..हँसते हँसते दोनों नीर छलकाते..पूछी हम ने इन से इन

की ही कहानी...एक रो दिया तो दूजे ने भी हार ना मानी..मिलन हमारा कभी ना होगा,कैसे देखे इक दूजे

को बीच राह मे खड़ी है रेखा...मुहब्बत की मिसाल देखी ऐसी...चले साथ साथ इक पटरी पे,मगर मिलन

की राह अनदेखी...

Wednesday 7 August 2019

बरसात का यह पानी..भरा है हर जगह,हर तरफ..ढूंढ रहे है इस मे,कही दिख जाए साफ़ पानी की झलक..

हर मुमकिन कोशिश है उस पानी से हाथ खुद के धुल जाए...मशक्कत जितनी कर रहे है,हर बार ही करते

है..साफ़ पानी की खोज मे खुद को बेहद कष्ट भी देते है...यह दुनिया भी यारो ऐसी ही है..जितनी साफ़

खुद को दिखाती है,उतनी ही अंदर से मैली होती है..लौट के फिर कभी इस दुनिया मे ना आना चाहे गे..

काश..कांच की तरह साफ़ मन सब का होता और हम फूलो की तरह ओस की बूंदो से नहा लेते..
सरल रहे तो दुनियां कहां समझ पाई...आंसुओ की जो लगी झड़ी तो सिर्फ कायर ही जान पाई...सिल

लिए होंठ तो जीना दुश्वार कर दिया...सजे-सवरे तो खूबसूरती पे निशाना ही साध दिया...सेवा से दिलो

को जीता तो अपनी धरोहर क्यों मान लिया...कहने से अब परहेज़ नहीं,ऐ दुनियां..तू कैसी सी है..बाते

बड़ी बड़ी करती है मगर इंसान को समझने की परख,वो सुलझी सी नज़र कहां रख छोड़ी है....
जो कभी निखरा ही नहीं वो रूप कैसा...जो कभी पिघला नहीं वो दिल कैसा.. बूँद बून्द से गर सागर ना

भरे वो सागर कैसा... दहलीज़ पे पांव रखे मगर वादा एक भी नहीं निभाया..प्यार का अपमान किया

और रिश्ते को पाक कहां..जुर्म को अपना अभिमान माना,परवरदिगार से फिर भी सब मांग लिया...

इंसानो से हेरा-फेरी की,और रात दिन तिलक माथे पे ईश्वर का लगा लिया...जो बन ना पाया मसीहा

और सारी सल्तनत का हक़दार बना..वो राजा कैसा....
तहजीब के हर रंग मे रंगा वो आशियाना अंदाज़..मुहब्बत की चाशनी मे डूबा वो दिलकश पैगाम...

यू बार बार कुदरत नियामते दिया नहीं करती..इबादत का खरा रूप जानने के लिए,इम्तिहान बहुत

लिया करती है..आंसुओ का पानी कितना खालिस है,यह भी जान लिया करती है..क्या जीना है उस

मुहब्बत के बिना,जिस के बगैर जान ही दांव पे लग जाया करती है..पावन रूप जो देखा तो नज़दीकिया

बन ही जाया करती है..
बादलों की ओट से चाँद फिर निकला...चांदनी उदास है यह जान कर चाँद खुद भी उदास है...अक्सर

ऐसा क्यों होता है चांदनी बिन चाँद क्यों अधूरा होता है...चांदनी इंतज़ार सदियों तक करती है,कभी

घिर जाते है बादल तो कभी बरसात भारी हो जाती है..तूफ़ान कितने क्यों ना आए तागीद हर बार वो

यही करती है,तेरी ख़ामोशी रूह को हिला देती है..समर्पण से पहले ही तेरी ख़ामोशी मुझे मार देती है..

जब जीना है साथ सदियों तक,खामोशियाँ किसी दरिया मे फैक दे..हाथ जोड़े तेरे आगे अब हर रस्म बदल दे ...

Friday 2 August 2019

रात फिर आई है,नींद मे जाने के लिए..दिन की हर बात को ज़ेहन मे बसाए रखने के लिए...कितने होंगे

ऐसे जो किया वादा निभा पाए गे..कितने होंगे जो धोखा दे गे और भूल भी जाए गे...परिंदे भी विश्वास

का वादा निभाते है..साथी की बात ज़ेहन मे रख,सुबह हो जाने पे उस को निभाते है...इंसानो की दुनियां

भी क्या ऐसी होती है,शायद नहीं...फिर भी उम्मीद यह कहती है,कुछ दिन इंतज़ार कर..जाना है तो बस

जाना है,किसी और की परवाह ना कर...
रूहे बोला करती है,समझ आता है...रूहे ज़िंदगी मे कभी कभी दस्तक भी दिया करती है...सादगी का

जामा पहने जब पुकारे उन को,तो यह अक्सर मिलने आ भी जाया करती है...पूछे जो कभी एक सवाल

जवाब सच ही बताया करती है..ज़िंदा इंसान अक्सर हमारी कसौटी पे खरे नहीं उतरते...कभी उलझा कर

बातो मे तो कभी फॅसा कर मीठी बातो मे..सुख-चैन लूट लिया करते है..यकीं करना बेकार है,यह रूहों

की तरह पाक साफ़ नहीं हुआ करते है...
हालातो ने ली करवट और हम कलाकार बन गए..लिखने पे आए तो एक शायर ही बन गए...मासूमो

ने दी दस्तक दर दे हमारे तो हम उन के मसीहा ही बन गए...अब कोई यह कहे कि सम्भालो हमारा

सम्मान,ना जी ना हम इतने अभी इस काबिल भी नहीं हुए...मामूली सी हस्ती है,नाचीज़ से इंसान...

मुस्कुरा कर क्या बोले तो क्या हम खुदा ही बन गए...
ख़्वाहिशों को हमेशा के लिए सीने मे दबा लेना---हसरतों को प्यार से मना लेना यह कह कर--तेरा एक

ही मकसद है दुनिया मे जीने का,खुशियां सब को बाँट देना---दिल जिस जिस ने भी दुखाया मेरा,उस के 

लिए भी सिर्फ दुआ मांगते रहे--बचपन की हर सीख़ को हर साँस के साथ निभाते रहे--क्या यह कम था

जो अब तक सीखा वो जीवन मे अपने उतारते ही रहे---किस से गिला करे,जीवन सब का संवारा मगर

खुद को हमेशा धोखा देते रहे---

Thursday 1 August 2019

ना मैं शामिल हू तेरे अपनों मे--ना शामिल हू तेरे दर-दरीचों मे---हवा हू इक ऐसी जो महकती है तेरी

बेजान राहो मे--सुबह की धूप की तरह तेरे चेहरे पर जो रौनक देती है---दोपहर आने तक तेरे जिस्म मे

जान भर देती है---घूम आ सारा जहां,ताकत बन कर तेरे साथ रहती है--बस गुस्ताखी मुझे भूल जाने की

ना करना--नाज़ुक हू तितली की तरह,तेरी तेज़ साँसों से भी बिखर जाऊ गी--हर मोड़ पे जो दुआ बन जाए

वो फरिश्ता हू तेरे जीवन मे---
कुछ बोझ सीने पे रखे-कुछ तेरे दिल मे उतार दिए--ख्याल तो यह बाद मे आया-तेरे दिल पे हम ने

कितने वार किए--क्या करे रास्ते सिर्फ दो ही हमारे पास है--या उस पार चले या इसी पार पे रुक जाए--

दर्द और सहने की हिम्मत अब बाक़ी ही नहीं--फूल हमारी राहों मे खिले या फूलो के ऊपर से गुजर जाए--

मशाल हाथो मे लिए अंधेरो को चीरते आए है--कैसे कहे कि बोझ सारे दिल से अब उतार दिए--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...