शब्दों को सँभालते सँभालते कभी बने कवि तो कभी दिलो के बादशाह बन गए--मुमताज़ किसी ने देखी
हम मे तो कोई मधुबाला का रूप समझ हम को राग सुनाता रहा--हंसी को उतारा कितने दिलो मे हम ने,
फिर भी बहुत उदास चेहरे हम को गमगीन कर गए--चंचल चपल नैना,कभी पलकों को झपकाते तो कभी
दो बून्द आंसू से कितनो को हिला देते---हम सिर्फ मुस्कुराते अच्छे लगते है--यक़ीनन--तब हम जोरों से
हंस दिए---गर हंसी ही हमारा गहना है फिर तो हम दिलो के बादशाह बनने लायक हो ही गए---
हम मे तो कोई मधुबाला का रूप समझ हम को राग सुनाता रहा--हंसी को उतारा कितने दिलो मे हम ने,
फिर भी बहुत उदास चेहरे हम को गमगीन कर गए--चंचल चपल नैना,कभी पलकों को झपकाते तो कभी
दो बून्द आंसू से कितनो को हिला देते---हम सिर्फ मुस्कुराते अच्छे लगते है--यक़ीनन--तब हम जोरों से
हंस दिए---गर हंसी ही हमारा गहना है फिर तो हम दिलो के बादशाह बनने लायक हो ही गए---