Friday 9 August 2019

शब्दों को सँभालते सँभालते कभी बने कवि तो कभी दिलो के बादशाह बन गए--मुमताज़ किसी ने देखी

हम मे तो कोई मधुबाला का रूप समझ हम को राग सुनाता रहा--हंसी को उतारा कितने दिलो मे हम ने,

फिर भी बहुत उदास चेहरे हम को गमगीन कर गए--चंचल चपल नैना,कभी पलकों को झपकाते तो कभी

दो बून्द आंसू से कितनो को हिला देते---हम सिर्फ मुस्कुराते अच्छे लगते है--यक़ीनन--तब हम जोरों से

हंस दिए---गर हंसी ही हमारा गहना है फिर तो हम दिलो के बादशाह बनने लायक हो ही गए---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...