Wednesday 7 August 2019

जो कभी निखरा ही नहीं वो रूप कैसा...जो कभी पिघला नहीं वो दिल कैसा.. बूँद बून्द से गर सागर ना

भरे वो सागर कैसा... दहलीज़ पे पांव रखे मगर वादा एक भी नहीं निभाया..प्यार का अपमान किया

और रिश्ते को पाक कहां..जुर्म को अपना अभिमान माना,परवरदिगार से फिर भी सब मांग लिया...

इंसानो से हेरा-फेरी की,और रात दिन तिलक माथे पे ईश्वर का लगा लिया...जो बन ना पाया मसीहा

और सारी सल्तनत का हक़दार बना..वो राजा कैसा....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...