Thursday 1 August 2019

कुछ बोझ सीने पे रखे-कुछ तेरे दिल मे उतार दिए--ख्याल तो यह बाद मे आया-तेरे दिल पे हम ने

कितने वार किए--क्या करे रास्ते सिर्फ दो ही हमारे पास है--या उस पार चले या इसी पार पे रुक जाए--

दर्द और सहने की हिम्मत अब बाक़ी ही नहीं--फूल हमारी राहों मे खिले या फूलो के ऊपर से गुजर जाए--

मशाल हाथो मे लिए अंधेरो को चीरते आए है--कैसे कहे कि बोझ सारे दिल से अब उतार दिए--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...