कुछ बोझ सीने पे रखे-कुछ तेरे दिल मे उतार दिए--ख्याल तो यह बाद मे आया-तेरे दिल पे हम ने
कितने वार किए--क्या करे रास्ते सिर्फ दो ही हमारे पास है--या उस पार चले या इसी पार पे रुक जाए--
दर्द और सहने की हिम्मत अब बाक़ी ही नहीं--फूल हमारी राहों मे खिले या फूलो के ऊपर से गुजर जाए--
मशाल हाथो मे लिए अंधेरो को चीरते आए है--कैसे कहे कि बोझ सारे दिल से अब उतार दिए--
कितने वार किए--क्या करे रास्ते सिर्फ दो ही हमारे पास है--या उस पार चले या इसी पार पे रुक जाए--
दर्द और सहने की हिम्मत अब बाक़ी ही नहीं--फूल हमारी राहों मे खिले या फूलो के ऊपर से गुजर जाए--
मशाल हाथो मे लिए अंधेरो को चीरते आए है--कैसे कहे कि बोझ सारे दिल से अब उतार दिए--