Thursday 1 August 2019

ना मैं शामिल हू तेरे अपनों मे--ना शामिल हू तेरे दर-दरीचों मे---हवा हू इक ऐसी जो महकती है तेरी

बेजान राहो मे--सुबह की धूप की तरह तेरे चेहरे पर जो रौनक देती है---दोपहर आने तक तेरे जिस्म मे

जान भर देती है---घूम आ सारा जहां,ताकत बन कर तेरे साथ रहती है--बस गुस्ताखी मुझे भूल जाने की

ना करना--नाज़ुक हू तितली की तरह,तेरी तेज़ साँसों से भी बिखर जाऊ गी--हर मोड़ पे जो दुआ बन जाए

वो फरिश्ता हू तेरे जीवन मे---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...