खूबसूरत रंगो से भरे,ना जाने कितने फूल बिछा दिए उन की राहो मे..नज़र ना लगे कभी ज़माने की
दिन के उजाले भी उन के लिए गवां दिए..अफ़सोस इस बात का नहीं,राहो को क्यों सजाया हम ने...वो
देखे हर ख़ुशी,यह सोच कर हम ने अपने वीराने भी खुद मे दबा दिए...दर्द तो इस बात का है,हम आज
भी उन के लिए बेगाने है..बेगाना लफ्ज़ तो शायद कम है हमारे लिए,धूल ही धूल बिछा दी हमारी राहो
मे क्यों और किस लिए...
दिन के उजाले भी उन के लिए गवां दिए..अफ़सोस इस बात का नहीं,राहो को क्यों सजाया हम ने...वो
देखे हर ख़ुशी,यह सोच कर हम ने अपने वीराने भी खुद मे दबा दिए...दर्द तो इस बात का है,हम आज
भी उन के लिए बेगाने है..बेगाना लफ्ज़ तो शायद कम है हमारे लिए,धूल ही धूल बिछा दी हमारी राहो
मे क्यों और किस लिए...