Saturday 10 August 2019

खूबसूरत रंगो से भरे,ना जाने कितने फूल बिछा दिए उन की राहो मे..नज़र ना लगे कभी ज़माने की

दिन के उजाले भी उन के लिए गवां दिए..अफ़सोस इस बात का नहीं,राहो को क्यों सजाया हम ने...वो

देखे हर ख़ुशी,यह सोच कर हम ने अपने वीराने भी खुद मे दबा दिए...दर्द तो इस बात का है,हम आज

भी उन के लिए बेगाने है..बेगाना लफ्ज़ तो शायद कम है हमारे लिए,धूल ही धूल बिछा दी हमारी राहो

मे क्यों और किस लिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...