तहजीब के हर रंग मे रंगा वो आशियाना अंदाज़..मुहब्बत की चाशनी मे डूबा वो दिलकश पैगाम...
यू बार बार कुदरत नियामते दिया नहीं करती..इबादत का खरा रूप जानने के लिए,इम्तिहान बहुत
लिया करती है..आंसुओ का पानी कितना खालिस है,यह भी जान लिया करती है..क्या जीना है उस
मुहब्बत के बिना,जिस के बगैर जान ही दांव पे लग जाया करती है..पावन रूप जो देखा तो नज़दीकिया
बन ही जाया करती है..
यू बार बार कुदरत नियामते दिया नहीं करती..इबादत का खरा रूप जानने के लिए,इम्तिहान बहुत
लिया करती है..आंसुओ का पानी कितना खालिस है,यह भी जान लिया करती है..क्या जीना है उस
मुहब्बत के बिना,जिस के बगैर जान ही दांव पे लग जाया करती है..पावन रूप जो देखा तो नज़दीकिया
बन ही जाया करती है..