Friday 2 August 2019

रात फिर आई है,नींद मे जाने के लिए..दिन की हर बात को ज़ेहन मे बसाए रखने के लिए...कितने होंगे

ऐसे जो किया वादा निभा पाए गे..कितने होंगे जो धोखा दे गे और भूल भी जाए गे...परिंदे भी विश्वास

का वादा निभाते है..साथी की बात ज़ेहन मे रख,सुबह हो जाने पे उस को निभाते है...इंसानो की दुनियां

भी क्या ऐसी होती है,शायद नहीं...फिर भी उम्मीद यह कहती है,कुछ दिन इंतज़ार कर..जाना है तो बस

जाना है,किसी और की परवाह ना कर...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...