रात फिर आई है,नींद मे जाने के लिए..दिन की हर बात को ज़ेहन मे बसाए रखने के लिए...कितने होंगे
ऐसे जो किया वादा निभा पाए गे..कितने होंगे जो धोखा दे गे और भूल भी जाए गे...परिंदे भी विश्वास
का वादा निभाते है..साथी की बात ज़ेहन मे रख,सुबह हो जाने पे उस को निभाते है...इंसानो की दुनियां
भी क्या ऐसी होती है,शायद नहीं...फिर भी उम्मीद यह कहती है,कुछ दिन इंतज़ार कर..जाना है तो बस
जाना है,किसी और की परवाह ना कर...
ऐसे जो किया वादा निभा पाए गे..कितने होंगे जो धोखा दे गे और भूल भी जाए गे...परिंदे भी विश्वास
का वादा निभाते है..साथी की बात ज़ेहन मे रख,सुबह हो जाने पे उस को निभाते है...इंसानो की दुनियां
भी क्या ऐसी होती है,शायद नहीं...फिर भी उम्मीद यह कहती है,कुछ दिन इंतज़ार कर..जाना है तो बस
जाना है,किसी और की परवाह ना कर...