रूहे बोला करती है,समझ आता है...रूहे ज़िंदगी मे कभी कभी दस्तक भी दिया करती है...सादगी का
जामा पहने जब पुकारे उन को,तो यह अक्सर मिलने आ भी जाया करती है...पूछे जो कभी एक सवाल
जवाब सच ही बताया करती है..ज़िंदा इंसान अक्सर हमारी कसौटी पे खरे नहीं उतरते...कभी उलझा कर
बातो मे तो कभी फॅसा कर मीठी बातो मे..सुख-चैन लूट लिया करते है..यकीं करना बेकार है,यह रूहों
की तरह पाक साफ़ नहीं हुआ करते है...
जामा पहने जब पुकारे उन को,तो यह अक्सर मिलने आ भी जाया करती है...पूछे जो कभी एक सवाल
जवाब सच ही बताया करती है..ज़िंदा इंसान अक्सर हमारी कसौटी पे खरे नहीं उतरते...कभी उलझा कर
बातो मे तो कभी फॅसा कर मीठी बातो मे..सुख-चैन लूट लिया करते है..यकीं करना बेकार है,यह रूहों
की तरह पाक साफ़ नहीं हुआ करते है...