Saturday, 17 November 2018

लाज शर्म के बंधनो से दूर,तेरी ही दुनिया मे कदम रखने चले आए है..पाँव की जंजीरो को तोड़,लोग

क्या कहे गे-इस सोच से भी बहुत दूर,तुझ से मिलने चले आए है...रिश्तो की दुनिया बहुत खौफदार

होती है,सवाल पे सवाल करने वाले और खुद को मेरा अपना कहने वाले..अकेले मे इन सब पर बेतहाशा

हंस देते है,क्यों आखिर झूठे प्यार का दावा करते रहते है...सकून तेरी ही बांहो मे पाने के लिए,दर्द से

निजात पाने के लिए..अपने आप को भुलाने के लिए बस तेरे पास चले आए है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...