Sunday 18 November 2018

निहायत खूबसूरत है आप के वो लफ्ज़,जो जीने के लिए आप को ही पुकारा करते है--पाक रिश्ते

के लिए आप के वो पाकीज़ा अंदाज़,दिल को नहीं बस रूह हमारी को छू लिया करते है---रहनुमा

ना सही,हमकदम ही सही--अपनी मुस्कान को कायम रखने के लिए,आप को खुदा कह कर बस

बुलाया करते है--कही खोट नहीं आप की गुफ्तगू मे, इसलिए आप को खुदा का मसीहा जान कर

इबादत मे शामिल कर लिया करते है---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...