Saturday, 10 November 2018

क्यों आज फिर मन उदास हुआ मेरा...आँखों से बह रहे यह झर झर आंसू किसलिए...कौन सा दर्द

कौन सी तड़प,क्या बेबसी उदास कर रही है मुझे...दिल के तारो के टूटने की आवाज़ आ रही क्यों

मुझे..क्यों लग रहा है ,कोई दूर बुला रहा है मुझे..मेरे इंतजार मे बहुत मजबूर है कोई मेरे लिए...

शायद आज इन आंसुओ का समंदर,खामोशियो मे..किसी के पास जाने के लिए बेक़रार है ...क्यों

क्यों और क्यों...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...