Monday 26 November 2018

ना जमीं सरकी ना ही आसमाँ खिसका..ना कही शिकवे हुए ना इल्ज़ामो का दौर रहा...ना कहा कुछ

आप ने,ना हम से कुछ बोला गया...रास्ते कब साथ थे,जुदा होने का सवाल कहाँ रह गया...उम्मीदे

टूटी कहाँ, जब उम्मीदों को पास आने का मौका हम ने दिया कहाँ...दुनियाँ बहुत छोटी सी है,आज है

यहाँ,कल ना जाने हम आप होंगे कहाँ .... 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...