ना जमीं सरकी ना ही आसमाँ खिसका..ना कही शिकवे हुए ना इल्ज़ामो का दौर रहा...ना कहा कुछ
आप ने,ना हम से कुछ बोला गया...रास्ते कब साथ थे,जुदा होने का सवाल कहाँ रह गया...उम्मीदे
टूटी कहाँ, जब उम्मीदों को पास आने का मौका हम ने दिया कहाँ...दुनियाँ बहुत छोटी सी है,आज है
यहाँ,कल ना जाने हम आप होंगे कहाँ ....
आप ने,ना हम से कुछ बोला गया...रास्ते कब साथ थे,जुदा होने का सवाल कहाँ रह गया...उम्मीदे
टूटी कहाँ, जब उम्मीदों को पास आने का मौका हम ने दिया कहाँ...दुनियाँ बहुत छोटी सी है,आज है
यहाँ,कल ना जाने हम आप होंगे कहाँ ....