सादगी पे हमारी कोई फिदा हो गया--आॅखो की गहराई पे हमारी,वो कहाानिया ही लिख
गया--वजूद को हमारे जाने बिना,हमारे वजूद से वो जुडता ही गया--जिनदगी मे हमारी
दऱद है कितने,जाने बिना हमारी परछाई सेे वो जुडता गया---कहते है इतना कि लौट
जाओ अपनी दुनिया मे,चनद दिनो के मेहमाॅ है हम--जीते जी ना आॅसू दिए किसी को,
फिऱ जाते जाते कयू रूला जाए गे-------
गया--वजूद को हमारे जाने बिना,हमारे वजूद से वो जुडता ही गया--जिनदगी मे हमारी
दऱद है कितने,जाने बिना हमारी परछाई सेे वो जुडता गया---कहते है इतना कि लौट
जाओ अपनी दुनिया मे,चनद दिनो के मेहमाॅ है हम--जीते जी ना आॅसू दिए किसी को,
फिऱ जाते जाते कयू रूला जाए गे-------