Monday 6 July 2015

सादगी पे हमारी कोई फिदा हो गया--आॅखो की गहराई पे हमारी,वो कहाानिया ही लिख

गया--वजूद को हमारे जाने बिना,हमारे वजूद से वो जुडता ही गया--जिनदगी मे हमारी

दऱद है कितने,जाने बिना हमारी परछाई सेे वो जुडता गया---कहते है इतना कि लौट

जाओ अपनी दुनिया मे,चनद दिनो के मेहमाॅ है हम--जीते जी ना आॅसू दिए किसी को,

फिऱ जाते जाते कयू रूला जाए गे-------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...