जो गुनाह कभी किए ही नही,उस के गुनाहगार भी बन गए है आज--ऱफता ऱफता चलती
इस जिनदगी मे,हर किसी की आॅख का काॅटा बन गए है आज--कहते है मुददतो बाद
कोई मसीहा बन कर आता है,दिल के दरद को दिल से ही खीॅच लेता है---इनतजाऱ कर
रहे है अपनी इबादत मे उसी रौशनी का,जो बन के सितारा निजात दिलाए गा उन
गुनाहो से हमे----
इस जिनदगी मे,हर किसी की आॅख का काॅटा बन गए है आज--कहते है मुददतो बाद
कोई मसीहा बन कर आता है,दिल के दरद को दिल से ही खीॅच लेता है---इनतजाऱ कर
रहे है अपनी इबादत मे उसी रौशनी का,जो बन के सितारा निजात दिलाए गा उन
गुनाहो से हमे----