Wednesday 15 July 2015

किस को छोड आए है पीछे,यह खयाल खलता है आज भी हम को---कही कोई याद कर

रहा होगा,तनहाई मे सोचते है आज भी इस को---इसी खयाल ने कलम थमा दी हाथ मे

मेरे,लिखते जा रहे है आज भी जनून की हद तक----धुॅधली सी यादे जेहन मे आज भी

है मेरे,शायद मेहरबानिया उस की बहुत होगी हम पर---जो आज भी खलल डाल रही है

जिनदगी मे हमारी इस हद तक-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...