कानधे पे सर रख कर किसी के,नही रोए गे हम---अपनी तनहाई है,खुद ही इन
अनधेरो से अब निकल जाए गे हम---यह दुनिया कयू बेचैन है,दरद से हमारे --कयू देती
है सहारो की बैसाखी बेवजह आ के----डरते नही इन बेमानी उलझनो से हम---बने है
गुनाहगार अब सब की नजऱो मे हम---तो कयू ना बागी हो जाए हम,खुद की खवाहिशो
को खुद से आबाद कर ले हम----
अनधेरो से अब निकल जाए गे हम---यह दुनिया कयू बेचैन है,दरद से हमारे --कयू देती
है सहारो की बैसाखी बेवजह आ के----डरते नही इन बेमानी उलझनो से हम---बने है
गुनाहगार अब सब की नजऱो मे हम---तो कयू ना बागी हो जाए हम,खुद की खवाहिशो
को खुद से आबाद कर ले हम----