किसी की नजऱो मे हम इतना उठे,इतना उठे कि आसमाॅ के फरिशते हमे दुआ देने लगे
---देने चले थे किसी को उस की खुशिया,अपनी पाक दुआओ मे उनही को रूला गए---
जमी पे बिखरे है हम इक खामोश कहानी की तरह,किसी ने जो अपना समझा--इबादत
मे खुद को झुका गए----खुशिया बाॅट जाए गेे जहाॅ मे इतनी,कि दुनिया पुकारे गी तो
आसमाॅ मे नजऱ आ जाए गे-----
---देने चले थे किसी को उस की खुशिया,अपनी पाक दुआओ मे उनही को रूला गए---
जमी पे बिखरे है हम इक खामोश कहानी की तरह,किसी ने जो अपना समझा--इबादत
मे खुद को झुका गए----खुशिया बाॅट जाए गेे जहाॅ मे इतनी,कि दुनिया पुकारे गी तो
आसमाॅ मे नजऱ आ जाए गे-----