Tuesday, 28 July 2015

जब तक जिनदा है-किसी इलजाम से बरी नही होगे--कब कहा किस ने हमे-कितना

तनहा किया-इस का खुलासा ना कर पाए गे--पर कागज के पननो पे वो सारे ऱाज लिख

जाए गे--बद से बदनाम हो कर जी रहे है हम-पर फिर भी खुद से किए हर वादे को पूरा

कर के जाए गे हम--उममीदे नही की है-पर खुद की साॅसो के बोझ तले जी रहे है हम--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...