टूटे शीशे जैसी चुभन..तेरी जुदाई मे चली आई हैै--कितना भी मुसकुुरा ले..पर जानते हो
तुम..यह हॅसी भी तेरी फितरत से ही चुराई है--बोझ उठाए गे उन गमो का..जो विदाई
की घडी से साथ चले आए है--कयू है यकी इतना तेरे आने का..कि बार बार तेरी ही
तसवीर उभर कर सामने आई है---
तुम..यह हॅसी भी तेरी फितरत से ही चुराई है--बोझ उठाए गे उन गमो का..जो विदाई
की घडी से साथ चले आए है--कयू है यकी इतना तेरे आने का..कि बार बार तेरी ही
तसवीर उभर कर सामने आई है---