Saturday 1 August 2020

 दिल की इस धक्-धक् से ज़िंदा है,ज़माना समझता है...इस की हर आवाज़ पर ज़माना महकता है...

किसी को यह दिल लगता गरूर वाला है..किसी को यह ज़िंदगी को समझने वाला लगता है...किसी ने 

अपने दिल पे हाथ रख कर,इस दिल को सज़दा तक कर दिया...हैरान है,इस नन्हे से दिल के लिए क्यों 

हज़ारो परेशान है..मगर यह दिल तो तेरे ही दिल से जुड़ा तो बस ऐसा जुड़ा,किसी ने इस दिल से क्या और 

क्यों कहा...इस का ख्याल है भी कहां..दिल की यह धक्-धक् तो ज़िंदा है तुझ से...यह हम को है पता..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...