टूटा दिल और बहते आंसू...यारा,यह तो कल की गुजरी बातें है...कौन यहाँ है अपना सब मतलब के ही
साथी है..क्यों रो दे अब किसी की बेरुखी के लिए..क्यों उदास हो किसी गैर या किसी अपने के लिए...
जो कर दिया सब के लिए..जो निभा दिया सभी के लिए..किस ने सराहा तो किसी ने दुत्कारा..अब इस
का भी मलाल क्यों करे...खुद ही अब खुद के लिए जिए..खुद को जी भर के क्यों ना प्यार करे...क्यों
किसी के मिलने का या गुफ्तगू के लिए इंतज़ार करे.जिस का मन हो वो ही हम को प्यार करे...नफरत
की कोई दीवार हम ने बिछाई ही नहीं तो क्यों ना अब बिंदास और खुशहाल जिए...