Tuesday 25 August 2020

 घुँगरू की दास्तां तो सुनिए...किसी के पांव मे बंधे तो नृत्य की बुलंदी पे ले गए...किसी और के पांव मे 


बंधे तो किसी ऐसी ताल पे थिरक गए..जहां इस के मोल ही बदल गए...वो घुँगरू बेवजह किसी की रातों 


को सजाने के लिए मजबूर हो गए...तक़दीर के खेल तो देखिए ना..कोई पंहुचा इस के साथ आसमां की 


बुलंदी पे तो कोई बाज़ारू हो कर दुनियां मे बदनाम हो गए...क्या कहे इस समाज को,किस ने आज़ाद 


किया इन को इन रातों से बाहर आने के लिए..यह घुँगरू तो बदनाम हो गए वहां,जहां इन के मोल कौड़ी 


के भाव बिक गए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...