यह नाज़ुक सी मुहब्बत और मौसम का कहर...फूल ही फूल बिखरे है चारो तरफ...सावन भी तो
सावन है,ज़िंदगी की तरह कभी खूबसूरत है तो कभी बरसता तूफानी है...हम तो महक महक गए
कि इस सावन को फिर भी तो आना है...जो हज़ारो जीवन महका दे वो सावन ही तो है...क्या हुआ जो
कभी खुल के बरस गया तो कभी थम सा गया...मगर फूल हज़ारो बागों मे खिला तो गया....