Monday 24 August 2020

 यह नाज़ुक सी मुहब्बत और मौसम का कहर...फूल ही फूल बिखरे है चारो तरफ...सावन भी तो 


सावन है,ज़िंदगी की तरह कभी खूबसूरत है तो कभी बरसता तूफानी है...हम तो महक महक गए 


कि इस सावन को फिर भी तो आना है...जो हज़ारो जीवन महका दे वो सावन ही तो है...क्या हुआ जो 


कभी खुल के बरस गया तो कभी थम सा गया...मगर फूल हज़ारो बागों मे खिला तो गया....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...