Sunday 16 August 2020

 ''मैंने उस को चाहा राधा की तरह और पूजा भी मीरा की तरह..फिर भी,प्रेम का सागर मुझे उस से ना 


मिला..ऐसी कौन सी ख़ता का फल मुझ को मिला''...सुन मेरी सखी,तुम ने जो प्रेम उस को किया..वो 


प्रेम नहीं इक सौदा है..प्रेम तो नाम है बलिदान का,प्रेम तो रूप है त्याग का..प्रेम कभी दर्शाया नहीं जाता..


सुन मेरी सखी,रूप तेरा उस को मोह ना पाए गा..जो किया उस के लिए,क्यों उस को जता दिया..प्रेम 


तो है भाषा मौन की,खुद को कर दे क़ुरबान उस की हर ख़ुशी के लिए..राधा..राधा इसलिए बनी..त्याग 


दिया सब कृष्णा के लिए और फिर कृष्णा की राधा हो गई..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...