बरसते सावन की यह तेज़ बौछारें क्यों दिल को धड़काती है...डर जाते है बादलों की गड़गड़ाहट से
और कांप जाते है...बादलों का शोर और बरसते सावन का खौफ, खुद मे सिमटने पे मजबूर कर देता
है...एक मीठी सी याद दहक रही है दिल के मासूम से कोने मे...तेज़ बौछारों का कम होना और फिर
बादलों का भी खामोश हो जाना..खिड़की से देखा तो चाँद निकल आया है..बेसब्री से ढूंढ रहा है अपनी
चांदनी को,बादलों के खौफ से परे इन का प्यार शबाब पे आया है...