Monday 17 August 2020

 यह मुस्कराहट जो कायम है लबों पे मेरे ..इस के मोती बिखेरते जा रहे है हर चलते कदमो के तले..


अब कसूर नहीं यह हमारा,किसी का दिल कुचल गया इन कदमो के नीचे..किसी ने कर दिया हम को 


सज़दा खुदाए-रूप जान के अपना...कोई गीतों पे हमारे फ़िदा हो गया तो किसी ने परी का संदेसा मान 


हम को आसमां का सितारा कह दिया...मुस्कराहट यह और गहरी हो गई..झुक गए खुद हम ही अपने 


तमाम मेहरबानों के लिए..जो आप सब ने हम को दिया,खुदा का नायब तोहफा मान उसी के सज़दा कर 


दिया...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...